केरल में कोरोना वायरस का दूसरा मामला सामने आने के बाद यह आवश्यक हो जाता है कि इस बीमारी से बचाव के लिए और सतर्कता बरती जाए। यह इसलिए जरूरी है कि एक तो देश भर में एक दर्जन ऐसे लोग सामने आ चुके हैं जिनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका है और दूसरे, अभी इसका कोई कारगर इलाज नहीं खोजा जा सका है। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि तमाम सावधानी के बावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। इस वायरस से संक्रमित मरीजों वाले देशों की संख्या दो दर्जन से अधिक हो चुकी है। हालांकि भारत सरकार चीन से आने वाले यात्रियों को लेकर सतर्कता बरत रही है, लेकिन आज जब वैश्विक संपर्क कहीं अधिक बढ़ चुका है तब किसी भी देश के नागरिक कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और वे किसी अन्य देश से भारत आ सकते हैं।

इस आशंका के बीच यह सराहनीय है कि भारत सरकार ने चीन से अपने नागरिकों को स्वदेश लाने में तत्परता बरती। यह सही है कि चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीज स्वस्थ हो गए हैं, लेकिन जब तक संक्रमण का सिलसिला थमता नहीं तब तक भारत को चौकन्ना रहना होगा। वास्तव में सरकार के साथ न केवल आम लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है, बल्कि स्वास्थ्य तंत्र को भी। यह सही समय है कि राज्य सरकारें अपने स्वास्थ्य तंत्र को सक्रिय करें और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य ढांचे से भी तालमेल बैठाएं।

चूंकि केरल इसके पहले निपाह वायरस की चुनौती का सामना सफलतापूर्वक कर चुका है इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि वह कोरोना वायरस के संक्रमण से भी निपट लेगा, लेकिन यह ध्यान रहे कि केरल की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली अपेक्षाकृत मजबूत है। देश के अन्य राज्यों का स्वास्थ्य ढांचा ऐसा नहीं कि इसके प्रति सुनिश्चित हुआ जा सके कि वे सेहत के मोर्चे पर खड़ी होने वाली किसी गंभीर चुनौती का सामना सही तरह कर सकेंगे। केंद्र सरकार को इसकी चिंता करनी होगी कि राज्यों का स्वास्थ्य ढांचा सक्षम बने।

यह चिंता केवल कोरोना वायरस के सिर उठाने के सिलसिले में ही नहीं, बल्कि इसलिए भी की जानी चाहिए, क्योंकि देश को सेहत के मोर्चे पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उसे इसकी भी पहल करनी होगी कि कोरोना वायरस को लेकर देश में आधारहीन आशंकाएं न पैदा होने पाएं। कोरोना वायरस का प्रकोप यह बता रहा है कि मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों और पर्यावरण के स्वास्थ्य की अनदेखी के कैसे घातक नतीजे हो सकते हैं? चीन के हालात से दुनिया को सबक सीखना ही होगा।