महाराष्ट्र में सरकार गठन में हो रही देरी भाजपा और शिवसेना के बीच बढ़ती खींचतान को ही बयान कर रही है। ऐसा लगता है कि यह खींचतान लंबी खिंचेगी, क्योंकि जहां शिवसेना इस पर अड़ी है कि ढाई-ढाई साल के फार्मूले के तहत दोनों दल के नेता बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनें वहीं भाजपा ऐसी किसी व्यवस्था को स्वीकार करने से इन्कार कर रही है। गठबंधन सरकार के गठन के दौरान सहयोगी दलों के बीच कुछ न कुछ खींचतान होती ही है, लेकिन महाराष्ट्र में वह कुछ ज्यादा ही विद्रूप होती जा रही है।

समस्या केवल यह नहीं कि सरकार गठन को लेकर कोई सहमति नहीं बन रही है, बल्कि यह भी है कि दोनों दलों के बीच मतभेद कटुता का रूप ले रहे हैैं। यह कटुता दोनों दलों के संबंधों में खटास ही पैदा करेगी। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अतीत में दोनों दल एक-दूसरे से छिटक चुके हैैं। पिछला विधानसभा चुनाव दोनों दल अलग-अलग लड़े थे। राजनीतिक मजबूरी के चलते दोनों फिर से करीब आए। अब उनमें फिर से दुराव पैदा हो रहा है। इसका एक बड़ा कारण शिवसेना की ओर से यह प्रदर्शित किया जाना है कि वह भाजपा पर जितने ज्यादा तीखे हमले करेगी, उसका दावा उतना ही मजबूत होगा।

यह गठबंधन धर्म के खिलाफ है कि शिवसेना भाजपा पर दबाव बनाने के लिए उसे धमकाने का काम करे। शिवसेना की ओर से यह संकेत दिया जाना एक तरह की धमकी ही है कि अगर उसकी शर्तें न मानी गईं तो वह कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पाले में जा सकती है। फिलहाल यह नहीं लगता कि वह अपनी इस धमकी को लेकर गंभीर है, लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है। सत्ता की ललक में राजनीतिक दल किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैैं।

पता नहीं शिवसेना क्या करेगी, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद संभालने की व्यवस्था एक नाकाम फार्मूला है। यह कभी सफल नहीं हो सकता, क्योंकि यह एक-दूसरे के प्रति अविश्वास पर टिका होता है। ऐसा कोई फार्मूला शासन व्यवस्था के लिए एक बोझ ही साबित होगा। इसका कोई मतलब नहीं कि कोई सरकार ढाई साल तक एक तरह से चले और शेष ढाई साल दूसरी तरह से। अगर ऐसा नहीं होना है तो फिर इसका औचित्य ही क्या है कि बारी-बारी से दो मुख्यमंत्री ढाई-ढाई साल सरकार चलाएं?

यह समय उन तौर-तरीकों पर विचार करने का है जिनसे महाराष्ट्र की जनता की अपेक्षाओं को सही तरह से पूरा किया जा सके। यह देखना दयनीय है कि इसके बजाय सत्ता की ज्यादा मलाई हासिल करने को लेकर खींचतान हो रही है।