लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए जो प्रक्रिया शुरू की गई थी उसके अगले चरण में आज से अमल होने जा रहा है। इसके तहत मॉल, होटल-रेस्तरां और साथ ही धार्मिक स्थल खुलने जा रहे हैं। चूंकि मौजूदा हालात में यह आवश्यक हो गया था कि आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बल दिया जाए इसलिए होटल-रेस्तरां, मॉल खोलने की अनुमति देने में हर्ज नहीं, लेकिन धार्मिक स्थलों को खोलने से रुका जा सकता था। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब से आवाजाही को बल मिला है तब से कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव तेज होता दिखा है। चूंकि जीवन जीविका के साधनों पर निर्भर है इसलिए कारोबारी गतिविधियों को बल देने के अलावा और कोई उपाय नहीं, लेकिन यह बात धार्मिक स्थलों के संदर्भ में नहीं कही जा सकती।

यह सही है कि बहुत से लोग यह चाह रहे हैं कि धार्मिक स्थल खुलें, लेकिन बेहतर यह होगा कि राज्य सरकारें इस पर गौर करें कि धार्मिक स्थलों को खोलने की कितनी आवश्यकता है। इस पर विचार इसलिए होना चाहिए, क्योंकि इसमें संदेह है कि धार्मिक स्थलों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन सही तरह से किया जा सकेगा। इस संदेह का कारण सार्वजनिक स्थलों में इस नियम के प्रति दिखाई जाने वाली लापरवाही है। यदि धार्मिक स्थल खुलते हैं तो फिर अच्छा यह होगा कि संत-महंत, मौलवी, पादरी एवं अन्य धर्मगुरु श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी की महत्ता से परिचित कराएं और अपने स्तर पर यह सुनिश्चित करें कि धर्मस्थलों में भीड़भाड़ न होने पाए। यदि राज्य सरकारें यह पाती हैं कि धार्मिक स्थलों में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है तो फिर उन्हें अपने इस फैसले को वापस लेने के लिए तैयार रहना चाहिए।

जीवन को सहारा देने वाले जीविका के साधनों को आगे बढ़ाने के प्रयासों के साथ इसके लिए भी खास तौर पर कोशिश की जानी चाहिए कि कोरोना के बढ़ते मामलों पर कैसे लगाम लगाई जाए। इस मामले में राज्य सरकारों को अतिरिक्त सतर्कता का परिचय देने की आवश्यकता है, क्योंकि देश के कई इलाकों में संक्रमण की बढ़ती रफ्तार चिंतित करने वाली है।

इस रफ्तार का मूल कारण संक्रमण से बचने के तौर-तरीकों और विशेष रूप से शारीरिक दूरी के नियम के प्रति सजगता का परिचय न दिया जाना है। राज्य सरकारों को एक तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक स्थलों में शारीरिक दूरी के नियम का सही तरह पालन हो और साथ ही उन्हें अपने स्वास्थ्य ढांचे को दुरुस्त करने के लिए सक्रियता व सजगता दिखानी होगी, क्योंकि इस तरह की खबरें ठीक नहीं कि कोरोना मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।