पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन निदेशालय बनाने से प्रदूषण पर रोकथाम में आसानी होगी। इससे उद्योगों को भी ज्यादा जवाबदेह बनाया जा सकेगा।
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पंजाब सरकार ने बठिंडा थर्मल प्लांट पहली जनवरी से बंद करने सहित कई अहम फैसले किए हैं। प्रदेश में पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन निदेशालय बनाने का फैसला भी महत्वपूर्ण है। पंजाब में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का असर पूरे उत्तर भारत में हो रहा है। इस सीजन में तो पंजाब के साथ ही दिल्ली का बुरा हाल हो गया था। प्रदेश में पराली जलाने की समस्या तो गंभीर है ही, उद्योगों व खस्ताहाल वाहनों से होने वाले प्रदूषण को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। निदेशालय बनाने से अब उद्योगों को ज्यादा जवाबदेह बनाया जा सकेगा। इसके अलावा उद्योगों को पर्यावरण प्रमाण पत्र हासिल करने में भी आसानी होगी। जहां तक बठिंडा थर्मल प्लांट के चारों यूनिट सहित रोपड़ थर्मल प्लांट के दो यूनिटों को बंद करने का मामला है तो सरकार को यह देखना होगा कि इन प्लांटों के बंद होने से बिजली की किल्लत न होने पाए। सरकार का तर्क है कि ये प्लांट ज्यादा पुराने हो गए हैं इसलिए इनसे बिजली पैदा करने पर लागत बहुत ज्यादा आ रही है। प्रदेश की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है इसलिए ज्यादा खर्च करके बिजली पैदा करने को तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन सरकार को इन प्लांटों में काम करने वाले कर्मचारियों के भविष्य के बारे में जरूर चिंता करनी होगी। सरकार भरोसा तो दिला रही है कि किसी भी कर्मचारी को नौकरी से निकाला नहीं जाएगा बल्कि उन्हें पावरकॉम के दूसरे कार्यों में लगाया जाएगा, लेकिन कई बार ऐसे आश्वासनों पर पूरी तरह अमल नहीं हो पाता है। बंद हो रहे बठिंडा व रोपड़ के थर्मल प्लांटों में करीब साढ़े तीन हजार कर्मचारी काम करते हैं। बठिंडा में तो कर्मचारी पहले से आंदोलनरत हैं। सरकार को इन कर्मचारियों को तत्काल भरोसे में लेते हुए उन्हें एडजस्ट करने का काम शीघ्र पूरा करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]