कैसे मिले डॉक्टर
राज्य सरकार को तीन सौ से अधिक स्पेशलिस्ट डॉक्टर चाहिए, लेकिन सौ से भी कम मिले।
राज्य सरकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर दिख रही है। इसमें सबसे बड़ी समस्या स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी को लेकर है। राज्य सरकार बार-बार रिक्त पदों को भरने के लिए आवेदन मंगा रही है, पर अपेक्षित संख्या में डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। अब राज्य सरकार ने टेंडर के माध्यम से इनके रिक्त पदों को भरने का निर्णय लिया है। एक प्रयोग के रूप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान में इस आधार पर बहाली की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह प्रयोग सफल होने पर इसे स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत होनेवाली बहाली में भी लागू किया जाएगा। राज्य सरकार को अपेक्षित संख्या में स्पेशलिस्ट डॉक्टर मिले, इसके लिए सरकार ने कई अन्य कदम भी उठाए हैं।
इसके तहत डॉक्टरों को नियुक्ति के साथ ही चार वेतन वृद्धि एक साथ देने का निर्णय लिया गया है। इसके बावजूद हाल ही में झारखंड लोक सेवा आयोग से हुई नियुक्ति में अधिसंख्य पद रिक्त रह गए। राज्य सरकार को तीन सौ से अधिक स्पेशलिस्ट डॉक्टर चाहिए, लेकिन सौ से भी कम मिले। इनमें से भी कई डॉक्टरों न ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापन होने के बाद विभाग को लिख कर दिया है कि अमुक शहर में पदस्थापन नहीं होने पर वे नौकरी छोड़ देंगे। डॉक्टरों के सरकारी सेवा में नहीं आने के कारणों पर जानकारों का कहना है कि कोई भी डॉक्टर पाकुड़, साहिबगंज जैसे क्षेत्रों में पदस्थापित होना नहीं चाहता। इसके लिए सरकार को न केवल उनका वेतन बढ़ाना होगा, बल्कि उन्हें वहां पर्याप्त सुरक्षा और सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होगी। इधर, राज्य सरकार पलामू, हजारीबाग तथा दुमका में तीन नए मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है।
इनमें 2018 से ही पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी है। वहीं, कोडरमा, चाईबासा तथा बोकारो में भी मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना है। देवघर में एम्स भी प्रस्तावित है। इन मेडिकल कॉलेजों के खुलने से राज्य सरकार को भविष्य में आवश्यकता के अनुसार डॉक्टर तो मिलेंगे। लेकिन वर्तमान में चिंता इस बात की हो सकती है कि इन मेडिकल कॉलेजों में भी डॉक्टर मिल पाएंगे या नहीं। वैसे भी धनबाद के पीएमसीएच तथा जमशेदपुर के एमजीएम में डॉक्टर नहीं मिलते रहे हैं। इसी कारण राज्य सरकार को वहां रिटायर्ड डॉक्टरों की फिर से सेवा लेने का प्रयास करना पड़ा। जरूरत इस बात की है कि सरकार समय पर ही डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की ठोस पहल करे।
[झारखंड संपादकीय]