रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ओर से विकास दर का अनुमान घटाने पर हैरानी इसलिए नहीं, क्योंकि बीते कुछ समय से लगातार ऐसे संकेत मिल रहे हैैं कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सब कुछ ठीक नहीं। बात चाहे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में चार वर्षों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज होने की हो या फिर ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी के हालात की अथवा शेयर बाजार में छाई सुस्ती की, चारों ओर से उभरते विपरीत संकेत कारोबार जगत को हतोत्साहित करने का काम कर रहे हैैं। इन नकारात्मक संकेतों के बीच मोदी सरकार इसकी भी अनदेखी नहीं कर सकती कि कैफे कॉफी डे के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या ने भी आर्थिक माहौल में निराशा घोलने का काम किया है।

भले ही सिद्धार्थ की आत्महत्या के मूल कारण कुछ और हों, लेकिन उनकी मौत को जिस तरह प्रतिकूल कारोबारी माहौल से जोड़ा जा रहा है उससे नीति-नियंता अनजान नहीं हो सकते। नीति-नियंताओं को इस बात से भी अवगत होना चाहिए कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट उद्योग-व्यापार जगत को उत्साह प्रदान करने में सहायक नहीं साबित हुआ। सच तो यह है कि आम बजट के कुछ प्रावधानों ने कारोबार जगत को हतोत्साहित करने का काम किया है।

इससे इन्कार नहीं कि सरकार के विभिन्न विभाग कारोबारी माहौल ठीक करने की कोशिश में जुटे हुए हैैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे कामयाब होते हुए भी दिख रहे हैैं? इससे भी महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर कारोबार जगत की चिंताओं का समाधान करने की पहल सरकार के शीर्ष स्तर पर क्यों नहीं हो रही है?

क्या यह सही समय नहीं कि वित्त मंत्री या फिर खुद प्रधानमंत्री आगे आकर उद्योग-व्यापार जगत को इसके लिए आश्वस्त करें कि उसकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा? इस तरह का कोई आश्वासन देना इसलिए आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है, क्योंकि उद्योग-व्यापार को गति प्रदान करके ही सरकार जनकल्याण और विकास की अपनी योजनाओं पर अमल कर पाएगी।

नि:संदेह गरीब, किसान और अन्य वंचित तबकों का उत्थान सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए, लेकिन इस तरह की प्राथमिकताएं तो तभी पूरी हो पाएंगी जब अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने में कामयाबी मिलेगी। यह कामयाबी कारोबारियों को भरोसा दिलाने और उनके मनोबल को बढ़ाने से ही मिलेगी।

यह शुभ संकेत नहीं कि अर्थव्यवस्था के मंदी के चपेट में आने का अंदेशा उभर आया है। इसके पहले कि मंदी की आशंका और गहराए, मोदी सरकार को हालात ठीक करने के लिए न केवल सक्रिय होना चाहिए, बल्कि इसकी चिंता करते हुए दिखना भी चाहिए कि कारोबार जगत की समस्याओं का तेजी से निदान करना उसकी प्राथमिकता में है।

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