हिमाचल प्रदेश में स्विट्जरलैंड की कंपनी के माध्यम से हेली एंबुलेंस सुविधा पर मंत्रिमंडल की मुहर वास्तव में उन सरोकारों पर मुहर है जो सेहत के साथ जुड़े हैं। हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में भौगोलिक परिस्थितियां खास तौर पर दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे में इस सुविधा की जरूरत स्वाभाविक थी। कोई भी समाज जब तक स्वस्थ न हो, वह अपनी सार्थकता को साबित करने में असमर्थ ही रहता है। हिमाचल प्रदेश में कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सड़कों का जाल अभी मजबूत नहीं है, जहां स्वास्थ्य सेवाएं अभी वैसी नहीं हैं जैसी किसी भी उन्नत प्रदेश में जरूरी होती हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत खुला यह रास्ता मुसीबत में घिरे लोगों की मदद करेगा, उन्हें स्वास्थ्य की मंजिल तक पहुंचाएगा। राष्ट्रीय एंबुलेंस सेवा-108 के तहत 26 और एंबुलेंस खरीद को मंजूरी देना भी इसी ओर एक और कदम है। जो एंबुलेंस ढाई लाख किलोमीटर चल चुकी हैं, उन्हें बदले जाने का फैसला भी बहुत सकारात्मक है। प्रदेश ने ऐसे कई मामले देखे हैं जिनमें या तो एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हुई और अगर हुई तो वह खराब हो गई और वैकल्पिक प्रबंध करने पड़े। स्वास्थ्य सेवा जगत से जुड़े कुछ और फैसले भी महत्वपूर्ण हैं जिनमें कुछ अस्पतालों का दर्जा बढ़ाया गया है।

सरकार या विभाग की सदिच्छा के बावजूद यह कहना होगा कि अब भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ करने को है। अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर होना, आधारभूत ढांचे का विकसित होना ऐसे लक्ष्य हैं जिनकी ओर सरकार को योजनाबद्ध ढंग से देखना होगा। मरीजों का वर्गीकरण और नियोजन भी इसी दिशा में एक कदम होना चाहिए। होता यह है कि छोटे अस्पताल से मरीज को गंभीर बता कर बड़े अस्पताल भेज दिया जाता है। आवश्यकता होने पर तो ऐसा करना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है लेकिन ऐसा भी देखा गया है कि छोटे अस्पताल में ही नियंत्रित किए जा सकने वाले मामले भी बड़े अस्पताल को भेज दिए जाते हैं। ऐसा न हो तो बड़े अस्पतालों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा। हिमाचल प्रदेश ऐसा राज्य रहा है जहां आपात स्थिति में चंडीगढ़, लुधियाना या जालंधर ही आशा के केंद्र होते हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल शिमला और डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा ने अपनी सेवाओं में पूर्व की अपेक्षा काफी सुधार किया है लेकिन सुधार सतत प्रक्रिया है, जो जारी रहती है, रहनी भी चाहिए। ऐसे प्रदेश में हेली एंबुलेंस बड़ी उम्मीद है। आशा की जानी चाहिए कि इस सेवा का संचालन सुचारू रहेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश ]