जिस राज्य में ज्ञान की रोशनी गांव-गांव फैल रही हो वहां आन, बान और शान के लिए अपनों की बलि देना आदम युग में लौटने के समान है। प्रदेश में पिछले कुछ सालों में ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आन के लिए अपने और दूसरे के जिगर के टुकड़े की जान लेने की शुरू हुई यह नई परिपाटी बिहार के हित में इसलिए नहीं है क्योंकि यहां समाज में पहले से आडंबरों ने अपनी जगह बना रखी है। बच्चे के बीमार होने पर डॉक्टर के पास जाने की बजाए झाड़-फूंक करने वाले पर भरोसे करना, अगल-बगल रहने वाली कमजोर वर्ग की महिला की नजरें खराब बताकर उसे सरेआम डायन करार देते हुए बेइज्जत करना ऐसी कुरीति है जो डिजिटल युग में प्रवेश करने पर भी दूर नहीं हो रही है। ऐसे संतानों पर अपनी दकियानूसी इच्छाओं को थोपने और बात नहीं मानने पर उसकी जान लेने की प्रवृत्ति सरकार के समाज को सुशिक्षित बनाने के अभियान को कमजोर करती है। शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति के आईने में बिहार का अक्स काफी सुंदर रहा है। राज्य सदियों से देश-दुनिया को अपनी श्रेष्ठता का संदेश देता रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का नाम आज भी प्राचीन धरोहर नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के रूप में सुविख्यात है। धर्म-कर्म में तो इसे भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी की धरती का दर्जा हासिल है। दरअसल, भारत के इतिहास को समृद्ध करने में जितना योगदान बिहार का है, उतना किसी दूसरे राज्य का नहीं। दुनिया में लोकतंत्र का संस्थापक बनने का गौरव भी बिहार को है। वैशाली कभी लिच्छवी गणराज्य के रूप में जाना जाता था जहां सर्वप्रथम प्रजातंत्र का परचम लहराया था। चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक और महान रणनीतिकार चाणक्य जैसी विभूतियां इतिहास के पन्नों से न जुड़तीं तो यह शोधपरक न बन पाता। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के गुरु विश्वामित्र ने आश्रय स्थली भी बिहार को बनाया जो बक्सर जिले में है। सर्वश्रेष्ठ दानी कर्ण की नगरी भागलपुर भी यहीं है। भटकाव के रास्ते पर दौड़ रही नई पीढ़ी सिर्फ बिहार की समृद्ध विरासत का नमन कर ले तो उसे आडंबरों से मुक्ति मिल सकती है।

‘ऑनर किलिंग’ का नाम जुबान पर आते ही उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके की याद आ जाती है। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में भी आन के लिए अपने की जान लेने की खबरें सुर्खियों में रहती थीं। बिहार दबंगई के किस्सों के लिए अधिक जाना जाता था, परंतु अब ऐसा कोई महीना नहीं जाता जब इज्जत के नाम पर अपने का खून न बहाया जाता हो। इधर कुछ महीनों में राजधानी पटना से सबसे ज्यादा निकट वैशाली जिले में ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। बुधवार की रात इस जिले के महुआ थाने के भागवतपुर तरोड़ा गांव में प्रेमिका के परिजनों ने युवक को बहाने से घर बुलाकर उसकी हत्या कर शव गांव के बाहर फेंकवा दिया। आन के लिए की गई इस हत्या की वजह मजहब की दीवार है। संयोग से इसी दिन बक्सर जिले में दो सप्ताह पहले धनसोई थाना क्षेत्र के छितनडेरा गांव में एक युवती की हत्या का कारण भी ‘ऑनर किलिंग’ निकला। लड़की के प्रेमी से ही शादी की जिद पर पिता व चाचा ने नाना के सहयोग से भाड़े के हत्यारे से घटना को अंजाम दिलवाया। पढ़े-लिखे समाज में आन, बान और शान के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। नई पीढ़ी को समाज की विसंगति दूर करने के उपाय करने चाहिए। कुरीतियों को दूर करने का सबसे कारगर उपाय जनजागरूकता है। इसके लिए सरकार को भी व्यवस्था को जवाबदेह बनाना होगा।

(स्थानीय संपादकीय : बिहार)