'आयुष्मान भारत' योजना से झारखंड की बड़ी आबादी की जहां सेहत सुधरेगी, वहीं इलाज के लिए बड़े अस्पतालों के दरवाजे खुलेंगे। जरूरत योजना को धरातल पर उतारने की है।

-------

आम बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए प्रावधानों के सही क्रियान्वयन से झारखंड को सीधे लाभ मिल सकता है। जिस राज्य में अभी भी मातृ और शिशु मृत्यु दर चिंताजनक हो, कुपोषण और एनीमिया इस क्षेत्र में बड़ी समस्या बनी हुई हो, वहां के लिए इस तरह के प्रावधान काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। झारखंड की बड़ी आबादी आर्थिक रूप से पिछड़ी है। इन योजनाओं से जहां इस आबादी की सेहत सुधरेगी, वहीं इलाज के लिए बड़े अस्पतालों के दरवाजे खुलेंगे। 'आयुष्मान भारत' योजना से यह संभव हो सकेगा। हालांकि, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से इस तरह की योजना राज्य में स्थापना दिवस के अवसर पर शुरू हो चुकी है। दो लाख रुपये तक की इस बीमा योजना के तहत राज्य की 80 फीसद आबादी को जोडऩे की योजना है। केंद्र द्वारा योजना शुरू करने से राज्य योजना का उसमें समायोजन हो सकेगा। इससे न केवल राज्य के खजाने की बचत होगी बल्कि गरीबों के इलाज का दायरा भी दो लाख से बढ़कर पांच लाख रुपये तक हो सकेगा। केंद्र द्वारा इस तरह की योजना शुरू करने पर समायोजन का प्रावधान मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना में ही कर दिया गया है। राज्य सरकार पहले से ही मानकर चल रही थी कि इस तरह की योजना केंद्र द्वारा शीघ्र शुरू की जाएगी, क्योंकि वहां इसकी कवायद दो वर्ष से चल रही थी।

केंद्रीय बजट में सभी बड़ी पंचायतों में हेल्थ वेलनेस सेंटर की स्थापना की भी बात कही गई है। यह झारखंड के लिए भी अहम साबित हो सकती है क्योंकि आइपीएच मापदंड के अनुरूप पंचायत स्तर पर अभी भी स्वास्थ्य केंद्रों में भारी कमी है। केंद्र ने टीबी रोगियों को प्रत्येक माह 500 रुपये की योजना शुरू करने की भी घोषणा बजट में की है। झारखंड में इस तरह की मांग पहले से ही उठती रही है। क्योंकि यह बीमारी झारखंड में बड़ी समस्या बनी हुई है। दरअसल, टीबी मरीजों को पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। लेकिन झारखंड में गरीबी और कुपोषण की बड़ी समस्या है। ऐसे में इन मरीजों को निश्शुल्क पोषाहार देने की मांग टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काम करनेवाली संस्थाएं भी उठाती रही हैं। इस तरह मरीजों को पर्याप्त पोषाहार उपलब्ध कराने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इन केंद्रीय योजनाओं को धरातल पर उतारने की है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों की अपनी-अपनी जवाबदेही निभानी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]