राष्ट्रमंडल खेलों की शूटिंग स्पर्धा में सोना जीतकर मनु भाकर ने प्रदेश को गौरवान्वित किया है। उनके लिए पूरे देश के मन में सम्मान का भाव है। खिलाड़ियों को पुरस्कृत करने के लिए संस्थाओं का आगे आना अच्छी बात है, परंतु मंगलवार को चरखी दादरी में मनु के साथ हुआ व्यवहार विचलित करने वाला रहा। शहर में सम्मान के बैनर-पोस्टर लगे थे, परंतु व्यवहार इसके ठीक उलट हुआ। जिले के प्रशासनिक अफसरों के कार्यक्रम में पहुंचते ही कुर्सी पर बैठी मनु व उनके परिजनों को नीचे जमीन पर बैठना पड़ा। घटना बताती है कि अफसरशाही किस तरह प्रतिभा का सम्मान करती है। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों को सीधे बड़ी नौकरी देने की घोषणा की हैै। अफसरों का मनु भाकर व उनके परिजनों के साथ किया गया यह व्यवहार प्रशासनिक प्रणाली से जवाब मांग रहा है। यह नहीं माना जा सकता कि अधिकारियों को पता ही नहीं चला होगा कि मनु भाकर को जमीन पर बैठाया जा रहा है।

स्मरण रखना होगा कि मनु ने अपनी प्रतिभा से देश गौरव बढ़ाया है। उनकी सफलता पर गोल्ड कोस्ट में तिरंगा लहराया गया और राष्ट्र गान गाया गया। चरखी दादरी के प्रशासनिक अफसरों का यह व्यवहार किसी भी तरीके से उचित नहीं हो सकता कि वे खुद की कुर्सी की चिंता तो करें परंतु जिस खिलाड़ी के सम्मान के लिए आयोजन हो रहा है उसका ध्यान नहीं रखें। खाप प्रतिनिधियों को भी अपने व्यवहार की समीक्षा करनी चाहिए। मनु ने जिस सहजता से अपनी कुर्सी छोड़ी वह एक खिलाड़ी की खेल भावना का प्रमाण है। उनके पिता ने बुजुर्गों के सम्मान की बात कही है। साथ ही विचारना होगा कि वह समाज कैसे आगे बढ़ेगा जो अपनी प्रतिभाओं का सम्मान नहीं कर सकेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]