कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल की ओर से यह जो दावा किया गया कि बीते चार-पांच सालों में स्विस बैैंकों में जमा धन में 80 प्रतिशत की कमी आई है वह एक माह पहले आई उस खबर का खंडन करता है जिसमें यह कहा गया था कि इन बैैंकों में जमा भारतीयों की राशि में वृद्धि हुई है। वित्त मंत्री की मानें वह मनगढ़ंत खबर थी। अच्छा होगा कि अब वह इसकी तह तक भी जाएं कि ऐसी गलत और गुमराह करने वाली खबर कैसे इतनी महत्ता पा गई? हालांकि वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने दावे के संदर्भ में स्विस प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी का उल्लेख किया, फिर भी विपक्ष और खासकर कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के सांसद उसे मानने को तैयार नहीं।

हैरानी नहीं कि वे स्विस प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी को फर्जी करार दें या फिर ऐसे तर्क लेकर आ जाएं कि मोदी सरकार ने मनमाफिक सूचना हासिल कर ली है। जो यह मानने को तैयार नहींं कि काले धन पर कोई अंकुश लगा है वे किसी दावे पर भरोसा नहीं करने वाले, लेकिन तथ्य यह है कि काले धन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने बीते चार सालों में जैसे कदम उठाए हैैं वैसे उसके पहले किसी सरकार ने नहीं उठाए।

मोदी सरकार ने काले धन के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए न केवल तमाम नियम-कानून बनाए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह आवाज भी उठाई कि विश्व समुदाय को काले धन के खिलाफ कुछ कदम उठाने की जरूरत है। इतना ही नहीं उसने काले धन का ठिकाना बने देशों से ऐसे समझौते किए कि वे भारतीयों के खातों की जानकारी दें। इसी क्रम में स्विट्जरलैैंड से दोहरे कराधान पर किए गए नए समझौते से यह जानकारी मिलना तय हुआ कि वहां के बैैंकों में भारतीयों ने कितनी रकम जमा की? चूंकि यह जानकारी जनवरी 2019 के बाद मिलनी शुरू होगी इसलिए तब तक विपक्ष अपुष्ट स्रोतों से मिली कथित सूचनाओं को ही सही मानने पर जोर दे तो हैरत नहीं।

ध्यान रहे कि एक माह पहले सनसनीखेज तरीके से आई खबर में भी यह कहा गया था कि यह जरूरी नहीं कि स्विस बैैंकों में जमा सारा धन काला धन ही हो, फिर भी विपक्ष ने यही प्रचारित किया कि मोदी सरकार काले धन पर लगाम लगाने में नाकाम रही। यह मानने का कोई कारण नहीं कि सरकार संसद में तथ्यों के विपरीत जानकारी देगी, लेकिन अब तो वह इससे अवगत हो ही गई होगी कि काले धन पर लगाम लगाना एक कठिन काम है।

यह साफ है कि भाजपा सत्ता में आने के बाद ही काले धन पर अंकुश लगाने में आने वाली कठिनाई से परिचित हो पाई, लेकिन यह हास्यास्पद है कि इस कठिनाई से परिचित रही और काले धन के खिलाफ कड़े कदम उठाने से कतराती रही कांग्रेस भी यह चाह रही है कि प्रधानमंत्री हर एक खाते में 15-15 लाख रुपये डालने के अपने कथित वादे को पूरा करें। हर खाते में 15-15 लाख रुपये जमा कराने की मांग यही बताती है कि बचकानी राजनीति का कोई ओर-छोर नहीं।