प्रदेश में लगभग तीस फीसद धान की कटाई अभी बाकी है। किसान यदि इसी तरह से पराली को जलाना जारी रखते हैं तो प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा।
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पंजाब में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। बेशक पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तरह तरह के प्रयास कर रहा है लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि इसमें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है। किसानों द्वारा पराली जलाने की बात करें तो इस सीजन में अब तक करीब साढ़े नौ हजार मामले सामने आ चुके हैं और किसानों से 18.5 लाख रुपये जुर्माना वसूला जा चुका है। इसके बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह और चिंता की बात है कि दिवाली के दिन से पराली जलाने के मामले अचानक बढ़ गए हैं। पहले जहां रोजाना औसतन चार सौ मामले सामने आते थे वहीं अब यह आंकड़ा सात सौ तक पहुंच गया है। प्रदेश में दो दिन के अंदर वायु प्रदूषण के स्तर में 22 आरएसपीएम की बढ़ोतरी हो गई है। मजबूरी में प्रदूषण विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी करनी पड़ी कि स्कूलों में खुले में बच्चों के कोई कार्यक्रम न करवाए जाएं। प्रदेश में लगभग तीस फीसद धान की कटाई अभी बाकी है। किसान यदि इसी तरह से पराली जलाना जारी रखते हैं तो प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा। दरअसल नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के बाद प्रदेश सरकार व पीपीसीबी ने कदम उठाए जरूर, लेकिन किसानों को समुचित विकल्प नहीं मुहैया करवाए गए कि वे पराली को किस तरह से ठिकाने लगाएं। किसान जब धान की कटाई और पराली जलाना शुरू कर दिए तो सरकारी तंत्र हरकत में आया। सरकार को और पहले सक्रियता दिखानी चाहिए थी। हकीकत यह भी है कि सिर्फ पराली व नाड़ जलाने पर पाबंदी से प्रदूषण पर रोक लगने वाली नहीं है। मानकों को पूरा न करने वाले कारखाने, खटारा ऑटो रिक्शा व अन्य वाहनों की वजह से भी प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। यह अच्छी बात है कि पीपीसीबी ने अन्य उपायों पर भी सोचना शुरू कर दिया है। उसने 2005 से पहले के ऑटो को सड़क पर चलने लायक नहीं माना है और ऐसे 35 हजार अनफिट ऑटो को बदलने की योजना बनाई है। योजना के मुताबिक नोडल एजेंसी बनाकर ऐसे ऑटो खरीद लिए जाएंगे और चालकों को गैस चालित नए ऑटो दिए जाएंगे। इसके लिए सब्सिडी भी दी जाएगी। यदि यह योजना सिरे चढ़ती है तो निश्चित रूप से प्रदूषण रोकने में कुछ हद तक कामयाबी मिलेगी। इसके लिए प्रदेश में यथाशीघ्र एलपीजी व सीएनजी फिङ्क्षलग स्टेशनों को बढ़ाना होगा जिसके लिए कोर्ट पहले से ही कह रहा है।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]