मुख्यमंत्री की यह घोषणा कि झारखंड में महिलाओं के बनाए नैपकिन खरीद सरकार स्कूलों में मुफ्त बांटेगी का दूरगामी असर होगा। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार आज भी देश में मात्र 29 प्रतिशत महिलाएं ही पीरिएड के दौरान पैड का इस्तेमाल करती हैं। तमिलनाडु के अरुणाचलम मुरुगनाथम ने लगभग दो दशक पूर्व इस दिशा में सोचा और अपनी पत्नी की असुविधाओं से सीख लेकर उसने समाज के लिए कुछ करने की ठानी। आज पूरे देश में पैडमैन के रूप वे समादृत हैं। दरअसल, यह ऐसा विषय है जो सीधे आधी आबादी के स्वास्थ्य से जुड़ा है। महिलाओं में होने वाली कई प्राणघातक बीमारी को पैड की स्वच्छता से रोका जा सकता है। घरों में आज भी पीरिएड के दौरान अस्वच्छ कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। हाल में ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने एक साक्षात्कार में यह स्पष्ट किया था कि कुछ चीनी कंपनियां कुछ लोगों को आगे कर इस बात का दबाव बना रही हैं कि सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी क्यों लगाई गई है? वित्त मंत्री ने यह साफ कर दिया कि यदि जीएसटी नहीं रहेगी तो चीनी कंपनियां कई सौ करोड़ के इस प्रोडक्ट के भारतीय बाजार पर कब्जा कर लेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि जो स्वयं सहायता समूह या सामुदायिक संगठन इसके विपणन में जुड़े हैं और यदि उनका कारोबार निर्धारित मापदंड से कम है तो उन्हें जीएसटी से मुक्त रखा गया है।

झारखंड में सरकार हर वर्ष करीब 25 करोड़ की सेनिटरी नैपकिन खरीदती है। सरकार इसे अब राज्य की महिलाओं से ही खरीदेगी और स्कूली छात्राओं के बीच मुफ्त बांटेगी। झारखंड में कुछ जगहों पर महिलाओं का समूह इसके निर्माण से जुड़ गया है। यदि 25 करोड़ की केवल सरकारी खरीद का आश्वासन ही मान लिया जाए तो महिलाओं के स्वरोजगार के लिए एक बड़ा बाजार उपलब्ध हो चुका है। रोजगार सृजन का बड़ा जरिया अंतत: बेहतर महिला स्वास्थ्य की गारंटी भी देगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास का यह प्रयास निश्चय ही कारगर होगा पर शर्त यह है कि बहुत ईमानदारी से इसका अनुपालन हो। ऐसे भी किस्से सामने आए हैं, कि बीते दिनों सरकार की ओर से खरीदी गई लाखों रुपये मूल्य की नैपकिन बिना बंटे ही एक्पायर हो गई। स्वास्थ्य विभाग की सहिया को इसको बांटने की जिम्मेदारी थी। लेकिन, कई जगहों पर प्रति नैपकिन एक रुपये के कमीशन के बाद भी सरकारी खरीद की नैपकिन नहीं बंट सकी। इसका दुहराव न हो यह राज्य सरकार का स्वास्थ्य महकमा सुनिश्चित करे तभी मुख्यमंत्री की सोच सफल हो सकेगी।

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हाइलाइटर :

झारखंड में सरकार हर वर्ष करीब 25 करोड़ की सेनिटरी नैपकिन खरीदती है। सरकार इसे अब राज्य की महिलाओं से ही खरीदेगी और स्कूली छात्राओं में मुफ्त बांटेगी।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]