अच्छी बात है कि सरकार नशे की चेन को तोड़ने के लिए प्रयासरत है परंतु इसके साथ ही उसे नशा छुड़ाने के लिए भी समग्र योजना बनानी चाहिए।

बेशक नशे के कोढ़ को पंजाब से खत्म करने के लिए कई वादे व दावे किए जाते रहे हों परंतु अब भी यह नासूर ही है। राज्य में शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो जिस दिन नशे की छोटी-बड़ी खेप न पकड़ी जाती हो या फिर कोई अपना ही अपनों का खून नशे में धुत्त होकर न बहाता हो। नशे के आदी लोग अपने नशे की पूर्ति के लिए जहां राहगीरों को लूट रहे हैं, महिलाओं के आभूषण झपट कर उन्हें चोटिल कर रहे हैं, वहीं पर अपने घर वालों पर भी नशे के लिए पैसे न देने पर हमलावर हो रहे हैं। शुक्रवार को लुधियाना के अयाली खुर्द में जिस तरीके से एक नशेड़ी ने अपने पिता का कत्ल किया वह दहला देने वाला है। नशेड़ी ने पैसे न देने पर डेयरी चलाने वाले अपने पिता की पहले गला दबाकर हत्या की और उसके बाद सुबूत मिटाने के लिए शव पर शराब फेंककर उसे आग लगा दी।

खुद परिजनों ने ही कहा है कि बाप का हत्यारा बेटा अपने नशे की पूर्ति के लिए कई बार घर के बर्तन भी बेच चुका है। यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पूर्व भी कई नशेड़ी नशे के लिए पैसे न देने पर अपने परिजनों की हत्या कर चुके हैं। राज्य में सरकार का ध्यान भी मुख्यता सिर्फ नशे की धरपकड़ की तरफ ही है और उसके लिए बाकायदा एसटीएफ भी बनाई गई है परंतु जो लोग नशे के आदी हैं उनके इलाज के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। सरकार ने कुछ स्थानों पर नशा छुड़ाओ केंद्र तो खोले हैं परंतु इनमें न तो स्टाफ है और न ही दवाइयां मिलती हैं। ऐसे में नशे की लत से निजात पाने वाले जाएं तो कहां जाएं। अच्छी बात है कि सरकार नशे की चेन को तोड़ने के लिए प्रयासरत है परंतु इसके साथ ही उसे नशे के आदी लोगों का नशा छुड़ाने के लिए भी समग्र योजना बनानी चाहिए तभी यह कोढ़ राज्य से दूर होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]