प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के नाम पर हो रहे फरेब के प्रति सख्ती जरूरी है। आश्चर्य यह कि यह ठगी सरकारी बैंक में खाता खोलकर की जा रही है। नौकरी के नाम पर मृगमरीचिका बनाकर यह फरेब ग्राहक सेवा प्रतिनिधि के नाम पर किया जा रहा है और झारखंड समेत देश के अन्य हिस्से के युवा इसमें फंस रहे हैं। ताजा मामला गुरुग्राम की एक फर्जी कंपनी एनवी सोल्यूशंस का है, जो फर्जी नियुक्ति पत्र भेजकर युवाओं से पैसे ऐंठ रही है। यह बताया जाता है कि नौकरी से पहले सिक्यूरिटी मनी और पंजीयन शुल्क जमा करना होगा। और इस नाम पर युवकों से बड़ी रकम जमा कराई जा रही है। बैंकों में प्रावधान है कि खाता खोलने के लिए आवेदन के समय पूरी जानकारी दी जाती है। संतुष्ट होने पर ही कोई शाखा प्रबंधक खाता खोलता है। किसी कंपनी के नाम पर खाता खोलने के क्रम में और भी तसदीक की जाती है। फिर यह कैसे संभव है कि देश स्तर पर विज्ञापित कर खाता में ठगी का पैसा मंगवाया जाए और भोले-भाले नौजवानों को चूना लगाया जाए? दरअसल, ऐसे ठग सिस्टम की चूक का फायदा उठाते हैं। जिन बैंकों का खाता नंबर विज्ञापित कर झारखंड में यह ठगी की जा रही है, उनमें बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक में संचालित खातों का नंबर दिया गया है।

एक समस्या यह भी है कि तकनीक संपन्नता के बावजूद बिना जांच किए लोग विश्वास कर लेते हैं और ठगे जाते हैं। ताजा मामला थोड़ा जुदा और शातिराना है। इसमें फर्जी वेबसाइट भी बनाई गई है और मंत्रलय और कौशल विकास के लिए सरकारी दस्तावेजों में प्रयुक्त लोगो का इस्तेमाल भी किया गया है। वेबसाइट पर ही डिटेल है। सामान्य आदमी के पास ऐसे तंत्र इस समय नहीं हैं, जिससे यह पता चल सके कि वेबसाइट असली है या नकली। सरकार को इस दिशा में सोचना होगा। प्रशासन और पुलिस चाहे तो तुरंत कदम उठाकर ऐसे लोगों को सबक सीखा सकती है। मोबाइल नंबर, बैंक खाता और छद्म वेबसाइट बनाने- इस्तेमाल करने वालों की गर्दन तक पहुंचा जा सकता है। इतनी सख्ती की जानी चाहिए कि कोई आदमी इस तरह के फरेब करने की हिम्मत न जुटा सके। ऐसी समेकित व्यवस्था राज्य और केंद्र स्तर पर होनी चाहिए, जिससे ऐसे फर्जी विज्ञापन और वेबसाइट के बारे में पता लगा सकने का प्रावधान हो। सरकार चेते और ऐसे षड्यंत्र को समूल नष्ट कराए।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]