स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए संबोधन में यदि केंद्र सरकार की ओर से अब तक किए गए काम विस्तार से रेखांकित हुए तो इसीलिए, क्योंकि यह लाल किले की प्राचीर से उनके वर्तमान कार्यकाल का आखिरी भाषण था। ऐसे भाषण में आम चुनाव निगाह में होना स्वाभाविक है और शायद इसीलिए उन्होंने अपनी सरकार की अब तक की उपलब्धियों का जिक्र करने के साथ ही खुद को देश को आगे ले जाने के लिए व्यग्र बताया। हालांकि प्रधानमंत्री अपनी सरकार की सफलताओं का जिक्र पहले भी करते रहे हैं, लेकिन लाल किले से उन्हें नए सिरे से बताने का अपना महत्व है।

उन्होंने लाल किले से अपने पहले संबोधन के वक्त यह कहा भी था कि वह अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने प्रस्तुत करते रहेंगे। उन्होंने एक बार फिर उसे पेश करने के साथ ही अपनी सरकार की भावी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। इनमें सबसे महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत है। प्रधानमंत्री ने 25 सितंबर से इस योजना को लागू करने की करने की घोषणा करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि प्रारंभ में तो यह योजना निम्न वर्ग के दस करोड़ परिवारों के लिए होगी, लेकिन बाद में निम्न-मध्यम, मध्यम और उच्च वर्ग भी इसके दायरे में आएंगे। नि:संदेह उन्होंने यह जानकारी देकर निर्धन वर्ग के बीच एक उम्मीद जगाई होगी कि इस योजना के अमल में कोई गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी और इसे जिस तकनीक के जरिये लागू किया जाना है उसका परीक्षण शुरू हो गया है। दस करोड़ परिवारों को अपने दायरे में लेने वाली दुनिया की यह सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना करीब-करीब पचास करोड़ लोगों को लाभान्वित करेगी।

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का अपने वादा यह कहते हुए दोहराया कि चार साल में दिल्ली के गलियारों में सत्ता के दलालों की कहीं कोई गूंज सुनाई नहीं देती। इसके साथ ही उन्होंने बार-बार यह दोहराया कि उनकी सरकार गरीबों के कल्याण और उनके उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसी ही प्रतिबद्धता उन्होंने महिलाओं के उत्थान और उनकी भलाई के लिए किए जाने वाले कार्यो को लेकर व्यक्त की। इसी क्रम में उन्होंने सेना में अस्थायी कमीशन के जरिये भ‌र्त्ती महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की खुशखबरी दी।

उन्होंने कृषि और किसानों के उत्थान को भी अपनी सरकार की जवाबदेही माना। इस सबसे यही संकेत मिला कि प्रधानमंत्री खास तौर पर गरीबों, महिलाओं और किसानों यानी एक बड़े वोट बैंक को यह भरोसा दिलाना चाह रहे हैं कि वे सब उनकी सरकार की विशेष प्राथमिकता में हैं। लाल किले से अपने तीसरे लंबे भाषण में प्रधानमंत्री ने बहुत से मसलों पर बात की, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने कश्मीर समस्या की भी सुध ली और पूर्वोत्तर की उपलब्धियां भी बयान कीं। इससे भी महत्वपूर्ण यह रहा कि उन्होंने कई ऐसे लक्ष्य भी गिनाए जिन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी वस्तुत: अगली सरकार की होगी, जैसे मानव सहित गगनयान संबंधी घोषणा।

साफ है कि एक तरह से प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से यह आग्रह भी कर गए कि उन्हें इस ऐतिहासिक स्थल पर तिरंगा फहराने का अवसर फिर से मिलना चाहिए।