दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से राहत दिलाने की आम बजट में की गई केंद्र सरकार की चिंता स्वागतयोग्य है। इस पहल के बाद ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि इस क्षेत्र में प्रदूषण पर नियंत्रण की दिशा में योजनाबद्ध तरीके से काम होगा। केंद्रीय बजट पेश करते समय संसद में वित्त मंत्री ने अपने भाषण में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली के साथ ही हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों के प्रयासों में मदद करने और खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए आवश्यक मशीनरी पर सब्सिडी देने की विशेष योजना पर कार्य करने का प्रस्ताव किया है। केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव उस समय आया है, जब दिल्ली-एनसीआर में विगत दो वर्षो में वायु प्रदूषण की स्थिति अत्यंत गंभीर हुई है और संबंधित राज्य सरकारें इससे जूझ रही हैं।

पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली का धुआं दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को प्रदूषित करता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि इन राज्यों में खेतों में पराली जलाए जाने पर रोक लगाई जाए, लेकिन यह निराशाजनक ही है कि तमाम प्रयासों और प्रतिबंधों के बावजूद संबंधित राज्य सरकारें इसपर रोक लगाने में विफल साबित हुई हैं। वास्तव में किसानों के पास इसे जलाने के अतिरिक्त इसके निस्तारण का उचित प्रबंध न होने से समस्या विकराल रूप ले रही है। ऐसे में आवश्यक है कि किसानों को पराली जलाने का उचित विकल्प उपलब्ध कराया जाए और इसके लिए आवश्यक उपकरणों पर सब्सिडी देकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]