राज्य में खुले में शौच जाने वालों के साथ लगातार घट रही घटनाएं साबित करती हैं कि राज्य को ओडीएफ करने की घोषणा आनन-फानन में की गई है। इस पर गंभीरता बहुत जरूरी है।

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पूरे राज्य में जहां एक ओर ओडीएफ का शोर है, प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक इस मामले में मुख्यमंत्री रघुवर दास की पीठ थपथपा चुके हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य की बहू-बेटियों पर दुष्कर्मी सीनाजोर हैं। चतरा में घटी घटना तो ताजा उदाहरण मात्र है, जहां गुरुवार की रात खुले में शौच को गई किशोरी को उसी के गांव के तीन युवकों ने दबोच कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। तीनों आरोपित सगे भाई हैं, समुदाय विशेष से हैं। इस घटना से माहौल भी तनावपूर्ण हो गया। राज्य के अन्य हिस्सों में भी खुले में शौच गई बहू-बेटियों के साथ दुष्कर्म, छेड़खानी आदि के मामले सामने आते रहे हैं। ऐसे मामले राज्य के माथे पर बदनुमा दाग की तरह चस्पा हो जाते हैं। दुर्भाग्य से सरकारी तंत्र इन्हें रोक पाने में असफल है। कुछ माह पूर्व भी कोडरमा में खुले में शौच के लिए गई एक बच्ची को आवारा कुत्तों ने अपना निवाला बना लिया था। तब भी खुले में शौच और ओडीएफ की हकीकत को लेकर काफी स्यापा मचा था। लेकिन लगता है कि सरकारी तंत्र ने उस मामले से कोई सीख नही ली।

यदि सबक लिया गया होता तो चतरा में यह घटना नहीं हुई होती। उस दौरान भी यह बात निकल कर सामने आई थी कि ओडीएफ घोषित किए गांवों में शौचालयों के निर्माण की वास्तविकता धरातल पर नहीं थी। यह खुलासा हुआ था कि अधिकतर शौचालय कागजों पर ही बने हैं। कमोबेश यही स्थिति राज्य के सभी जिलों में है। राज्य में खुले में शौच जाने वालों के साथ लगातार घट रही घटनाएं भी यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि यहां पूरे राज्य के खुले में शौच मुक्त होनेे की घोषणा आनन-फानन में ही की गई है। अब तो ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जहां अपने घरों की इज्जत बचाने को लोगों ने अपने स्तर पर तमाम कोशिशें कीं लेकिन सरकारी तंत्र की ओर से शौचालय बनवाने में उन्हें कोई मदद नहीं की गई। बीते दिनों दुमका में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जब खुले में शौच जाने की शर्मिंदगी के कारण यहां एक युवती ने खुदकशी कर ली थी। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तो रांची मेंं सीएम आवास के नजदीक है जहां अभी भी कई घरों में शौचालय नहीं है। इस पर नगर निगम के अधिकारी यह कहकर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं कि यहां सार्वजनिक शौचालय बनवाया गया है, लोगों को उसके उपयोग की आदत डालनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]