पूर्व सांसद राहुल गांधी; नेता संभलकर बोलना सीखें, तो इससे उनका और भारतीय राजनीति का ही होगा हित
कांग्रेस कुछ भी मान कर चल रही हो उसके लिए यह माहौल बनाना आसान नहीं होगा कि राहुल गांधी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे थे इसलिए सरकार ने छल-बल से उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म करा दी क्योंकि सच तो यही है कि उन्हें अदालत ने मानहानि का दोषी पाया है।
आखिरकार मानहानि के मामले में दंडित राहुल गांधी की सदस्यता चली गई, क्योंकि कानून यही कहता है कि दो वर्ष या उससे अधिक की सजा पाते ही किसी विधायक-सांसद की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। इसी के साथ कांग्रेस यह संदेश देने में जुट गई है कि राहुल गांधी को भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की कीमत चुकानी पड़ी। यह संदेश कितनी दूर तक जाएगा और जनता इसे किस रूप में लेगी, इसी पर निर्भर करेगा कि राहुल गांधी को जनता की सहानुभूति मिल पाती है या नहीं?
कांग्रेस कुछ भी मान कर चल रही हो, उसके लिए यह माहौल बनाना आसान नहीं होगा कि राहुल गांधी भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे थे, इसलिए सरकार ने छल-बल से उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म करा दी, क्योंकि सच तो यही है कि उन्हें अदालत ने मानहानि का दोषी पाया है और उनकी सदस्यता उसी तरह गई, जैसे दर्जनों अन्य विधायकों और सांसदों की गई हैं। इनमें लालू यादव से लेकर आजम खान तक हैं।
चूंकि विभिन्न मामलों में दोषी पाए जिन विधायकों और सांसदों की सदस्यता गई है, उनमें सभी दलों और यहां तक कि भाजपा के नेता भी शामिल हैं, इसलिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से यह प्रचारित करना आसान नहीं होगा कि केवल विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। यह थोथा प्रचार इसलिए और भी मुश्किल होगा, क्योंकि जनता इससे भली तरह अवगत है कि राहुल गांधी की सदस्यता इसलिए गई, क्योंकि वह मानहानि के मामले में दोषी पाए गए हैं।
राहुल गांधी मानहानि के दोषी इसीलिए पाए गए, क्योंकि उन्होंने अपने इस कथन के लिए क्षमा मांगने से मना कर दिया कि सारे मोदी चोर क्यों होते हैं? यह ईर्ष्या और द्वेष से भरी एक अपमानजनक टिप्पणी थी। इसके लिए खेद प्रकट करने के स्थान पर राहुल कभी यह कहते हैं कि सत्य मेरा भगवान है और कभी यह कि मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं। इस बयानबाजी का उस विषय से कोई लेना-देना नहीं, जिसके लिए उन्हें दंडित किया गया और जिसके कारण उनकी सदस्यता गई।
उन्हें जिस मामले में कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए, उस पर राजनीतिक लड़ाई लड़ने की अपनी सीमाएं हैं, क्योंकि एक तो जनता सब जानती है और दूसरे भाजपा यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली कि राहुल ने एक जाति विशेष के लोगों पर अभद्र टिप्पणी करके उनका अपमान किया था और उन्हें सजा अदालत ने सुनाई है। राहुल का अतीत भी इसकी गवाही देता है कि वह किसी के खिलाफ कुछ भी बोल देते हैं। कहना कठिन है कि उन्हें उच्चतर न्यायपालिका से राहत मिलेगी या नहीं और कांग्रेस उनकी सदस्यता खोने को राजनीतिक रूप से भुना पाएगी या नहीं, लेकिन यदि नेतागण संभलकर बोलना सीख लें, तो इससे उनका और भारतीय राजनीति का हित ही होगा।