इंट्रो
मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान कुछ विषयों के अध्यापकों को ही दिया जा रहा है। इस पर शिक्षक संघ ने आपत्ति जताई है। विरोध की ठोस वजह है।
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केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों को लेकर अंगुलियां उठती रही हैं। कई बार इसमें वाजिब वजह भी दिखती है। हिमाचल में दिए जाने वाले मुख्यमंत्री शिक्षक सम्मान को लेकर सीएंडवी शिक्षक संघ ने आपत्ति जताई है। संघ ने सवाल उठाया है कि सिर्फ गणित, अंग्रेजी और विज्ञान विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षक ही इसके लिए पात्र क्यों हैं? इसमें ङ्क्षहदी विषय तक शामिल नहीं है। शिक्षक संघ ने ठीक पूछा है कि क्या इससे बाकी विषयों का महत्व कम नहीं हो रहा है। प्रदेश में शिक्षा की लौ जलाए रखने में सभी विषयों के शिक्षक योगदान दे रहे हैं। इसमें किसी विषय विशेष का योगदान ज्यादा कैसे हो सकता है। असल में किसी भी प्रकार का पुरस्कार या सम्मान प्रोत्साहन का काम करता है। जिस व्यक्ति ने अच्छा काम किया हो, उसके आसपास के लोग वैसा ही कुछ करने को प्रेरित होते हैं। नई पीढ़ी को शिक्षा मिलती है। अगर पुरस्कार अपात्र को दे दिए जाएं तो इसका उल्ट असर देखने को मिलता है। यह कहने-सुनने को मिलता है कि कैसे-कैसे लोगों को पुरस्कृत किया जा रहा है। सरकारी स्तर पर मिलने वाले विभिन्न पुरस्कार और सम्मान आज इसी वजह से संदेह के घेरे में आ रहे हैं। लोग कहने लग पड़े हैं कि पुरस्कार तो 'जुगाडÓ़ से मिलते हैं। लोगों का विश्वास गिर रहा है कि पुरस्कार पात्र लोगों को ही मिलते हैं। इसके लिए मेहनत की जरूरत होती है। यह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हर तरफ हो रहा है। यहां तक कि पदम पुरस्कारों में भी लोग नाराजगी जताते दिखते हैं। कुछ जूनियर कलाकार पदम अवार्ड के हकदार हो गए और उनकी पिछली पीढ़ी के लोग पूरी उम्र इंतजार करते रह गए। जब उनको पुरस्कार लेने के लिए कहा जाता है तो वे निराशा में इन्कार कर देते हैं कि अब क्या करेंगे पुरस्कार लेकर। खेलों को ही लें। आज पैसे का खेल क्रिकेट राष्ट्रीय खेल हॉकी सहित अन्य सभी पर भारी है। यही वजह रही कि सचिन तेंदुलकर भारत रत्न हो गए और हॉकी के जादूगर ध्यान चंद के चाहवान आज तक समझ नहीं पाए कि आखिर उन्हें भारत रत्न देने में क्या अड़चन रही होगी। केंद्र और राज्य स्तर पर पुरस्कार देने वाले जिम्मेदार लोगों को चाहिए कि वे बिना किसी पक्षपात के फैसला लें। पात्र लोगों को ही मंच पर बुलाने के लायक बनाएं। तभी उनके द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार का महत्व और मतलब बना रह पाएगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]