गर्मी बढ़ते ही प्रदेश में आग लगने के मामले सामने आने लगे हैं। आग से हर साल प्रदेश में करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है। आग तो पल दो पल में लग जाती है मगर उससे मिलने वाले जख्म भरने में जमाना लगता है। इस साल प्रदेश में कई अग्निकांड हो चुके हैं। शिमला जिला के चौपाल उपमंडल के रपाड़ी गांव में आग से दोमंजिला मकान राख होने पर लाखों की संपत्ति के नुकसान का मामला अभी पुराना भी नहीं हुआ था कि एक और अग्निकांड ने प्रदेश के लोगों का दिल दहला दिया। रोहड़ उपमंडल के कशैणी गांव में कई घर जलने के कारण करोड़ों रुपये की संपत्ति जल गई और कई परिवारों के आशियाने छिन गए। रपाड़ी व कशैणी में हुए अग्निकांड में घर लकड़ी के बने हुए थे जिस कारण आग तेजी से फैली। दोनों ही मामलों में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। रपाड़ी गांव तक पहुंचने वाली सड़क भी बेहद तंग थी जिस कारण अग्निशमन वाहन घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाया। प्रदेश में कई ऐसे स्थान हैं जहां तक अग्निशमन वाहन नहीं पहुंच पाते हैं। इस कारण आग लगने से नुकसान अधिक होता है।

लोगों को चाहिए कि गांव तक संपर्क मार्गो का निर्माण करने में सहयोग दें। कई बार अग्निशमन वाहन इसलिए भी घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाते हैं क्योंकि सड़कों किनारे वाहन पार्क किए होते हैं। कई दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर सड़कों पर रखा गया सामान भी अग्निशमन वाहनों की रफ्तार में बाधक बनता है। इसलिए जरूरी है कि लोग वाहनों को पार्किंग स्थल पर ही खड़ा करें। दुकानदारों को भी चाहिए कि वे दुकान के बाहर सड़क पर सामान न रखें। जिन ग्रामीण क्षेत्रों में घर लकड़ी के बने होते हैं उनमें सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय करने चाहिए। लोग घरों के अंदर लकड़ी आदि का संग्रहण न करें ताकि आग लगने पर स्थिति जल्द नियंत्रित की जा सके। कई बार देखने में आता है कि आग लगने पर लोग उसे खुद ही बुझाने में जुट जाते हैं। जब आग बेकाबू हो जाती है तब अग्निशमन विभाग को सूचना दी जाती है जो सही नहीं है। सरकार को भी चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में अग्निशमन केंद्रों की कमी दूर की जाए। जहां फायर हाईड्रेंट खराब हैं, उन्हें तत्काल ठीक करवाया जाए ताकि समय रहते आग से बचाव हो सके। आग से बचाव के लिए लोगों को समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: हिमाचल प्रदेश ]