जीएसटी संग्रह में वृद्धि के साथ औद्योगिक उत्पादन की स्थिति बताने वाले इंडेक्स में आए उछाल के अलावा हाल में सामने आए अन्य अनेक आर्थिक संकेत यह बता रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना के कहर से उबर रही है। इन संकेतों को देखते हुए कुछ लोग यह भी मानने लगे हैं कि अर्थव्यवस्था जल्द ही पटरी पर आ जाएगी। नि:संदेह ऐसा ही होने की उम्मीद की जानी चाहिए, लेकिन इसी के साथ इसकी अनदेखी करना भी ठीक नहीं कि किसी बड़े झटके के बाद अर्थव्यवस्था में यकायक उछाल आना स्वाभाविक है।

ऐसे में यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख आधारों को वास्तविक मजबूती मिले और उनमें सुधार का सिलसिला त्योहारों के बाद भी कायम रहे। शायद यही सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय आम बजट से पहले उद्योग-व्यापार जगत को एक और पैकेज देने पर विचार कर रहा है। यह विचार-विमर्श स्वत: इस बात को इंगित करता है कि अर्थव्यवस्था को संकट के दौर से उबारने की जरूरत बनी हुई है।

नए पैकेज का मुख्य उद्देश्य शहरी इलाकों में मांग की स्थिति सुधारना बताया जा रहा है। अच्छा होगा कि यह पैकेज न केवल शहरी इलाकों में मांग बढ़ाए, बल्कि रोजगार के अवसर पैदा करने में भी सहायक बने। इस पर विशेष ध्यान देना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कोरोना संकट ने तमाम लोगों के रोजगार छीने हैं।

आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों के गति पकड़ने के बाद भी फिलहाल यह कहना कठिन है कि पहले जैसे हालात कब बनेंगे? इस सिलसिले में यह भी ध्यान रहे कि कोरोना संकट के दस्तक देने के पहले भी अर्थव्यवस्था सुस्ती का शिकार थी और कई क्षेत्र मांग में कमी का सामना कर रहे थे। वास्तव में इसी कारण जीडीपी में गिरावट देखने को मिल रही थी। केंद्र सरकार अभी तक उद्योग-व्यापार जगत को दो पैकेज दे चुकी है। तीसरे प्रस्तावित पैकेज के जरिये यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उद्योग-व्यापार जगत की समस्याओं का वास्तविक समाधान हो।

उद्योग-व्यापार जगत की समस्याओं के निदान के कदम उठाते समय यह भी देखा जाना चाहिए कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए कुछ और उपाय करने की आवश्यकता तो नहीं है? इसी तरह महंगाई को नियंत्रित करने पर भी ध्यान देना होगा। इस सबके अलावा इसे लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी कि कोरोना वायरस का संक्रमण फिर सिर न उठाने पाए। भले ही बीते कुछ समय से कोरोना मरीजों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही हो, लेकिन यह कोई शुभ संकेत नहीं कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण बढ़ता दिख रहा है। इनमें दिल्ली-एनसीआर भी है, जो औद्योगिक-व्यापारिक गतिविधियों का एक प्रमुख गढ़ है।