मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस धारणा से असहमत नहीं हुआ जा सकता कि जब तक नशा, दहेज और बाल विवाह समेत तमाम सामाजिक कुरीतियां नहीं मिट जातीं, बिहार सच्चे अर्थ में विकास नहीं कर सकता। राज्य ने पूर्ण नशामुक्ति का संकल्प लिया है और शराबबंदी के मामले में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है यद्यपि दहेज और बाल विवाह के मामले में अभी पर्याप्त जागरूकता आना शेष है। इसके बावजूद कुरीतियों के खिलाफ राज्यवासियों, खासकर युवाओं और महिलाओं ने जो उत्साह दिखाया है, वह उम्मीद जगाने वाला संकेत है। शराबबंदी के मामले में यह बात उल्लेखनीय है कि बिहार से पहले कई राज्यों ने यह प्रयोग किया, पर सफल नहीं हुआ। इसीलिए बिहार में भी शराबबंदी की कामयाबी पर संदेह जताया जा रहा था। बहरहाल, अब यह सच्चाई देश-दुनिया के सामने है कि राज्य ने शराबबंदी को पूरी तरह अपना लिया है। कानून का उल्लंघन आपराधिक विषय है जिससे निपटने के लिए पुलिस और न्यायालय मौजूद हैं। राज्य में शराबबंदी के सुफल भी सामने हैं। पिछले कुछ समय में शराब के कारण होने वाले लड़ाई-झगड़ों, महिलाओं के प्रति अपराध तथा सड़क हादसों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। शराबबंदी का विषय मुख्य रूप से महिलाओं से जुड़ा है। मुख्यमंत्री से यह मांग भी महिलाओं ने ही की थी। इसी क्रम में अगला लक्ष्य दहेज और बाल विवाह पर रोक का है। दहेज और बाल विवाह एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दहेज कुप्रथा बंद हो जाए तो बाल विवाह स्वत: रुक जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा अभियान शुरू करने के बाद महिलाओं और युवाओं में दहेज के खिलाफ जागरूकता नजर आने लगी है। पिछले कुछ दिनों में ऐसे तमाम प्रकरण सामने आ चुके, जब लड़कियों ने दहेज लोभी दूल्हे के साथ विवाह करने से इंकार कर दिया जबकि तमाम लड़कों ने अभिभावकों से बगावत करके कोर्ट या मंदिर में दहेजमुक्त विवाह रचा लिया। संयोग है कि इसी दौरान उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी अपने पुत्र का दहेजमुक्त विवाह सादगीपूर्वक करके अनुकरणीय उदाहरण पेश किया। जाहिर है कि राज्य में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जंग का माहौल बन रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस आदर्श बिहार की कल्पना करते हैं, उसके लिए यह जंग जरूरी है।
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सामाजिक कुरीतियां बेशक सदियों पुरानी हैं। इनकी जड़ें बहुत गहरी हैं। इनसे मुक्ति में समय लगेगा लेकिन इस वजह से हताश नहीं हुआ जा सकता। शराबबंदी के बाद दहेज और बाल विवाह के खिलाफ बना माहौल उम्मीद की किरण दिखा रहा है।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]