इस माह राज्यसभा निर्वाचन में पश्चिम बंगाल से पांच सदस्यों का चुनाव होना है। चार सीटों पर पहले से ही तय है कि तृणमूल जिसे भी मैदान में उतारेगी वह जीत जाएगा। परंतु, पांचवीं सीट को लेकर पेंच फंसा है। क्योंकि, न ही तृणमूल और न ही वाममोर्चा व कांग्रेस के पास इतने विधायक हैं जो अपने दम पर पांचवीं सीट जीत सके। ऐसे में कांग्रेस ने पहले रणनीति बनाई कि यदि माकपा अपने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी को राज्यसभा प्रत्याशी बनाए तो वह उनका समर्थ करेगी। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह पांचों ही सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेंगी। ममता की रणनीति थी कि जया बच्चन को प्रत्याशी बनाया जाए, ताकि कांग्रेस व वाममोर्चा के पास कोई विकल्प न बचे। परंतु, समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा भेजने की बात कह कर ममता की रणनीति को झटका दे दिया। वहीं माकपा ने यह कह कर कांग्रेस की रणनीति पर पानी डाल दिया कि येचुरी राज्यसभा के लिए नामित नहीं होंगे। बंगाल के माकपा सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कांग्रेस से समर्थन लेने से साफ इन्कार कर दिया और निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देने की बात कह दी। यानी ममता से लेकर कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव को लेकर जो रणनीति बनाई थी वह फिलहाल धराशाई हो चुकी है।

अब यह तय है कि राज्यसभा की पांचवीं सीट के लिए महादंगल होगा। हालांकि, अब तक किसी भी दल की ओर से प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की गई है। जो पांच सीटें रिक्त हो रही हैं उनमें से चार सदस्य तृणमूल के हैं और एक माकपा के। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जिस तरह से भाजपा एक के बाद एक राज्यों में चुनाव जीतती जा रही है तो फिर क्या राज्यसभा चुनाव में तृणमूल, वामपंथी व कांग्रेस एक साथ आएंगे? क्या सर्वसम्मति से पांचवीं सीट के लिए प्रत्याशी उतारकर भाजपा को संकेत देने की कोशिश होगी? इस पर अब सबकी निगाहें टिकी हुई है। क्योंकि, तीसरे मोर्चे को लेकर एक ओर ममता सक्रिय हैं तो दूसरी ओर माकपा में भी भाजपा को रोकने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट करने का प्रयास हो रहा है। उधर कांग्र्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया है। ऐसी स्थिति में बंगाल में होने वाला राज्यसभा चुनाव एसिड टेस्ट साबित हो सकता है।

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हाईलाइटर::: ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जिस तरह से भाजपा एक के बाद एक राज्यों में चुनाव जीतती जा रही है तो फिर क्या राज्यसभा चुनाव में तृणमूल, वामपंथी व कांग्रेस एक साथ आएंगे?

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]