गौरवशाली अतीत को सहेजने वाले हरियाणा में ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति उदासीनता चिंताजनक है। शानदार अतीत पर गर्व की अनुभूति कराने वाली मौजूदा भाजपा सरकार का रवैया भी इस मामले में ठीक नहीं दिखाई दे रहा। कुछ मामलों में इसका प्रयास नि:संदेह सराहनीय है। विश्व के श्रेष्ठ धर्मग्रंथों में शुमार गीता का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार करने और जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार ने व्यापक और प्रशंसनीय अभियान चलाया। पहली बार ऐसा हुआ कि सरकारी आयोजन को आम आदमी के उत्सव का रूप दे दिया गया। कुछ माह पहले की ही बात है कि जब पूरे प्रदेश में रैलियां निकाली गईं, स्कूल-कॉलेज ही नहीं दूसरी संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी की थी।

इसकी जन्मस्थली कुरुक्षेत्र के उद्धार और इसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है और कई योजनाएं विचाराधीन हैं। ऐसी सरकार भी अगर धरोहरों के प्रति संजीदगी न दिखाए तो चिंता होना जरूरी है। किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। कई राज्य और राष्ट्र इसके उदाहरण हैं जब पर्यटन के बूते उन्होंने काफी समृद्धि हासिल कर ली। हरियाणा में भी पर्यटन की भरपूर संभावनाओं से शायद ही कोई इन्कार करे। प्रदेश में कई जगह वैदिक संस्कृति के प्रमाण अब भी मौजूद हैं। हिसार, फतेहाबाद और कई अन्य जिलों में पुरातत्व विभाग की खुदाई में ऐसी वस्तुएं मिली हैं, जो लोगों के आकर्षण का कारण हो सकती हैं। हांसी में पृथ्वीराज चौहान का किला हो या पानीपत में कालाअंब। देश का इतिहास बदल देने वाले इन स्थलों के बारे में कौन नहीं जानना चाहेगा? प्रदेश का शायद ही कोई जिला हो, जिससे कोई यादगार घटनाएं न जुड़ी हों।

करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, रेवाड़ी हो या झज्जर, हिसार व कैथल। हर जगह कोई न कोई ऐसा स्थान मिल जाता है जो हमें गर्व का अनुभूति कराता है। पानीपत में ही बू अली शाह की दरगाह दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। मगर, सरकार ने शायद ही इसे कभी अपनी प्राथमिकताओं में रखा हो। देश के महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक भद्रकाली शक्तिपीठ कुरुक्षेत्र में है। प्रचार-प्रसार की हालत यह है कि राज्य के ही अधिकतर लोग इसकी महिमा से अनजान हैं। जबकि ऐसे शक्तिपीठ वैष्णो देवी और विंध्याचल के दर्शन के लिए देशभर से लाखों लोग हर साल जाते हैं। प्रदेश के आर्थिक विकास ही नहीं, सांस्कृतिक उत्थान के लिए भी जरूरी है कि सरकार इन धरोहरों के प्रति अपनी निद्रा तोड़े। इनकी सुध लेने से राजस्व में तो वृद्धि होगी ही गौरव भी बढ़ेगा।

[ स्थानीय संपादकीय-हिसार ]