झारखंड के सुदूर इलाकों में धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान परेशान हैं। राज्य के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री सरयू राय ने इस स्थिति पर असंतोष जताया है तथा संबंधित अधिकारियों व एजेंसियों को निर्देश दिये हैं। खेतों में धान कटाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। इसके बावजूद प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अब तक 125 क्रय केंद्र नहीं खुल सके हैं। कुल 427 केंद्र खोले जाने थे जिनमें से 301 ही खुले हैं। जो केंद्र संचालित हैं, उनमें भी मात्र पलामू जिले से 229 क्विंटल धान अधिप्राप्ति की रिपोर्ट आई है। ये आंकड़े हालात की गंभीरता को बयां करते हैं। कुछ स्थानों से तो यह भी खबर आ रही है कि दलाल किसानों से औने-पौने दाम पर धान खरीदकर पश्चिम बंगाल व बिहार के इलाकों में खपा रहे हैं। किसानों के समक्ष समस्या यह है कि उन्हें रबी फसल की बुआई करनी है लेकिन धान पैदावार की लागत भी नहीं मिल पा रही है। केंद्र सरकार ने धान खरीद का मूल्य 1470 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। प्रति क्विंटल 130 रुपये बोनस अलग से। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार 1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रही है। वहीं दलाल गांव-गांव घूमकर महज आठ से नौ रुपये किलो धान खरीद रहे हैं। ऐसे में किसानों की मन:स्थिति का सहज अंदाज लगाया जा सकता है। जब पैदावार की लागत तक नहीं निकल पा रही हो तो खेतिहरों को खेती-किसानी की तमाम योजनाएं मात्र मुंह चिढ़ाती नजर आएंगी। दुखद यह कि धान खरीद में वर्षों से कायम अव्यवस्था दूर नहीं हो पा रही है। मंत्री ने ईमानदारी से खामियों को स्वीकार किया है और खाद्य आपूर्ति महकमे को सुधारात्मक कदम उठाने को कहा है। धान खरीद की साप्ताहिक बुलेटिन जारी होगी और इसकी ऑनलाइन मॉनीटरिंग की जाएगी। यह अच्छी बात है लेकिन पहले लक्ष्य के अनुसार सारे क्रय केंद्र खुलें। ऐसा नहीं हो कि किसान तंगहाली में साहूकारों-बिचौलियों के चंगुल में फंसते चले जाएं। गेहूं, मटर, चना आदि रबी फसलों की बुआई का समय आ चुका है लेकिन किसानों के हाथ में पैसे नहीं हैं। शासन-प्रशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए किसानों से धान की खरीद करवानी होगी। खाद्य सुरक्षा समिति के साथ-साथ उपभोक्ता संरक्षण पर्षद के सदस्यों को सक्रिय करना होगा। जिले के उपायुक्त व आपूर्ति अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि धान क्रय केंद्र खुलें और किसानों से धान खरीद का लक्ष्य पूरा हो। इस कार्य में मुखिया से लेकर पंचायत समिति सदस्य भी अहम सहयोग दे सकते हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]