हरियाणा का बजट सत्र होली के बाद शुरू हो रहा है। सबकी निगाहें प्रदेश के बजट पर रहने वाली हैं। अपेक्षा है कि विधानसभा व लोकसभा के चुनाव साथ-साथ हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह प्रदेश सरकार का भी यह पूर्णकालिक बजट हो सकता है। मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के सभी बड़े नेता इस पर संकेत दे चुके हैं। अपेक्षा की जा रही है कि प्रदेश सरकार सांमाजिक योजनाओं के लिए पोटली खुलने वाली है। इस बार बजट के फोकस में किसान, आम आदमी व युवा रहेंगे। चुनावी चिंता के बीच सरकार को चिंता करनी होगी कि विकास की गाड़ी थमे नहीं।

कुछ वर्षों में आधारभूत ढांचे में सुधार हुआ है राजमार्गों पर तेजी से काम हुआ है लेकिन ग्रामीण व शहरी सड़कों की स्थिति में तेजी से सुधार अपेक्षित है। युवाओं को रोजगार से जोड़ने की योजनाओं पर भी तेजी से काम करना होगा। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर कार्य अभी भी लंबित है। मुख्यमंत्री कार्यालय सीधे इन घोषणाओं को देख रहा है, बावजूद इसके इन योजनाओं में देरी स्वीकार नहीं की जा सकती। सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को चुनाव का मुद्दा बनाना चाहती है। अगर वास्तव में सरकार बदलाव दिखाना चाहती है तो ग्राउंड जीरो पर भ्रष्टाचार पर रोक के उपाय तलाशने होंगे। साथ ही गांवों के विकास के लिए विशेष रणनीति बनानी होगी ताकि ग्रामीण आत्मनिर्भर बन सकें व राजस्व भी जुटा सकें। वहां रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे। इसके लिए कृषि आधारित उद्योगों से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता। गांव मजबूत होंगे तो प्रदेश सशक्त होगा और खुशहाली आएगी।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]