तीन दिन के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह वहां कुछ और समय व्यतीत करने का फैसला किया, उससे यही पता चलता है कि वह इस केंद्र शासित प्रदेश की समस्याओं को सही तरह समझने और उनका समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी प्रतिबद्धता इससे भी झलकती है कि उन्होंने जम्मू और साथ ही कश्मीर के विभिन्न वर्गों से सीधी मुलाकात की। कश्मीरी युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने उनसे जिस तरह दोस्ती करने की बात की और उन्हें दुश्मनों से लड़ने के लिए आगे आने को कहा, उसका सकारात्मक असर दिखना चाहिए।

जहां जम्मू-कश्मीर प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कश्मीरी युवाओं को भरोसे में लेने की पहल आगे बढ़े, वहीं कश्मीर के युवकों को भी चाहिए कि वे अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए सामने आएं। नि:संदेह यह तभी संभव होगा, जब वे कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानपरस्त तत्वों के खिलाफ खड़े होंगे। यह ठीक है कि बीते कुछ समय में ऐसे तत्वों का दुस्साहस कम हुआ है, लेकिन वे अब भी सक्रिय हैं और रह-रहकर पाकिस्तानपरस्ती दिखाते रहते हैं। इनमें राजनीतिक वर्ग के लोग भी हैं।

कश्मीरी युवाओं के लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि वे अपने बीच के पाकिस्तानपरस्त तत्वों को हतोत्साहित करने में शासन-प्रशासन का सहयोग दें। कश्मीर पहुंचे गृह मंत्री ने खुले तौर पर यह कहा कि वह पाकिस्तान से बात करने की कोई जरूरत नहीं समझ रहे हैं और न ही वह ऐसा करने वाले हैं। ऐसा कहकर उन्होंने पाकिस्तान से बात करने की जरूरत जताने वाले फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को तो करारा जवाब दिया ही, यह भी साफ किया कि कश्मीर में पाकिस्तान का कोई काम नहीं।

कश्मीरी जनता को कम से कम अब तो यह समझना ही होगा कि पाकिस्तान से बातचीत की पैरवी करने वाले कश्मीर के हितैषी नहीं हो सकते। उस पाकिस्तान से बात करने की जरूरत जताना देश विरोधी मानसिकता ही है, जिसने कश्मीर को आतंक की आग में झोंकने का काम किया है। यह अच्छा हुआ कि केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि अब कश्मीरी युवाओं को मेडिकल की पढ़ाई के लिए पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं रहेगी। ऐसे कदम उठाना आवश्यक था, क्योंकि पाकिस्तान हर संभव तरीके से कश्मीरी युवाओं के मन में जहर घोलने का काम कर रहा है। वह कश्मीरियों का हितैषी होने का तो दिखावा करता है, लेकिन अपने हिस्से वाले गुलाम कश्मीर की जनता के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता है। इसका जो उल्लेख गृह मंत्री ने किया, उससे कश्मीरी जनता की आंखें खुलनी चाहिए।