सेज को लेकर उम्मीदें
विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को अनुमोदन देने के लिए किसी तरह का आश्वासन नहीं दिया जा रहा है लेकिन सेज के लिए जो भी सुविधाएं दी जाती हैं, वह सब बंगाल सरकार देने को तैयार है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को अनुमोदन देने के लिए किसी तरह का आश्वासन नहीं दिया जा रहा है लेकिन सेज के लिए जो भी सुविधाएं दी जाती हैं, वह सब बंगाल सरकार देने को तैयार है। यही नहीं, इस मुद्दे पर इंफोसिस और विप्रो के साथ राज्य सरकार बातचीत करने को भी तैयार है क्योंकि राज्य सरकार विप्रो और इंफोसिस के निवेश को लौटने देना नहीं चाह रही। उनके लौटने पर एक और गलत संदेश निवेशकों के बीच जाएगा। यह बात राज्य सरकार भली-भांति जानती है। पिछले पांच वर्षो में राज्य सरकार ने किसी को भी सेज का दर्जा नहीं दिया है। इंफोसिस और विप्रो द्वारा बार-बार सेज के अनुमोदन के लिए अर्जी देने के बावजूद स्थिति नहीं बदली। राजारहाट-न्यूटाउन में वाममोर्चा के शासनकाल में ही दोनों कंपनियों को 50-50 एकड़ जमीन आइटी कैंपस के लिए दी गई थी, जिसमें करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश होना था लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2011 में ही कहा था कि वह बंगाल में सेज स्थापित करने की अनुमति नहीं देंगी। तब से यह मामला लटका हुआ है। राज्य में इन दोनों कंपनियों का अगर आइटी कैंपस शुरू हो जाता है तो प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से करीब 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। ममता सरकार की उद्योग नीति में सेज का कोई स्थान नहीं है, हालांकि सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री ब्रात्य बसु ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि सेज का प्रस्ताव सरकार की नीति से मेल नहीं खाता है। सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी नीति सभी कंपनियों के लिए एक समान है। किसी खास कंपनी के लिए अलग नीति नहीं बनाई जा सकती। सरकार चाहती है अधिक से अधिक आइटी कंपनियां राज्य में निवेश के लिए आगे आएं। राजारहाट में 50 एकड़ जमीन लेने वाली इंफोसिस को सेज का दर्जा देने की मांग करने के सवाल पर बसु ने कहा कि इस तरह की आइटी कंपनियों को सरकार कई तरह की सुविधाएं देती हैं। जहां तक इंफोसिस का सवाल है तो जरूरत पड़ने पर वे कंपनी से बातचीत करेंगे। बसु ने कहा कि पिछले दो वषों में 17,000 रोजगार सृजित किए गए। पिछले वित्त वर्ष में 2,269 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। सात आइटी पार्क स्थापित करने की योजना बनी थी। तारातल्ला का आइटी पार्क तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री जल्द ही इसका उद्घाटन करेंगी। कुछ दिन पहले ही विप्रो के अधिकारियों ने कहा था कि सेज का दर्जा नहीं मिलने पर कंपनी बंगाल में निवेश पर पुनर्विचार कर सकती है। आखिर सरकार सेज का दर्जा क्यों नहीं देना चाहती? इसकी वजह साफ है। नंदीग्राम में जब सेज तैयार करने की बात हुई थी तो उसका ममता ने विरोध किया था और इसी आंदोलन ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाने अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में सेज का दर्जा ममता सरकार द्वारा देना आसान नहीं है। फिर भी उम्मीद बरकरार है।
(स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल)