वायु प्रदूषण की आपात स्थिति के कारण ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध के चलते राजधानी के प्रवेश द्वारों पर अव्यवस्था और यातायात जाम की स्थिति चिंताजनक है। ये हालात दर्शाते हैं कि दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए किए जा रहे प्रयास अनियोजित और अनमने ढंग से किए जा रहे हैं। ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका अवश्य जा रहा है, लेकिन उन्हें वापस लौटाने की उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण लंबा जाम लग रहा है। हरियाणा की सीमा से लगे सिंघु बॉर्डर व उत्तर प्रदेश से लगते डीएनडी फ्लाईवे पर एक ही लाइन में ट्रकों का प्रवेश हो रहा है, जिसमें जरूरी वस्तुएं लेकर आने वाले ट्रकों को सघन जांच के बाद प्रवेश दिया जा रहा है। इसी लाइन में लगे अन्य ट्रकों को लौटाया भी जा रहा है। एक ही लाइन होने और यू टर्न न होने से जांच कर प्रवेश देने या लौटाने की स्थिति में काफी समय लग रहा है, जिसकी वजह से लंबा जाम लग रहा है। चिंताजनक यह भी है कि बड़ी संख्या में ट्रक प्रतिबंध खत्म होने के इंतजार में सीमाओं पर भी खड़े हैं और यातायात जाम की स्थिति पैदा कर रहे हैं।
दिल्ली में पड़ोसी राज्यों से प्रतिदिन करीब 60 हजार ट्रक प्रवेश करते हैं। इनमें से कई ट्रक दिल्ली तक ही आते हैं, जबकि बड़ी संख्या में ट्रक दिल्ली में होकर दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश करते हैं। इन ट्रकों के धुएं से दिल्ली में बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है, ऐसे में इनपर प्रतिबंध यकीनन उचित है। लेकिन ट्रकों के दिल्ली प्रवेश पर प्रतिबंध के आदेश को कार्यान्वित करने के लिए जिम्मेदार यातायात पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इनके कारण प्रवेश द्वारों पर जाम न लगने पाए। जाम के कारण जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश में तो परेशानी होगी ही, अन्य वाहन चालकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। प्रतिबंध खत्म होने के इंतजार में सीमा पर खड़े ट्रकों को हटवाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लौटाए जाने वाले ट्रकों को यू टर्न लेने में समस्या न होने पाए। गांवों से चोरी-छिपे दिल्ली में प्रवेश कर रहे ट्रकों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई कर ऐसे मार्गों को बंद किया जाना चाहिए। यदि यातायात पुलिस योजनागत तरीके से ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगाती है तो इन सभी समस्याओं से बचा जा सकता है।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]