यह आंकड़ा उम्मीद की किरण के रूप में दिख रहा है कि देश के 25 जिलों में बीते 14 दिनों से कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई नया मामला नहीं मिला है। इसके अलावा यह भी संतोषजनक है कि संक्रमण के नए मामलों की रफ्तार थोड़ी धीमी होती दिख रही है। इस सबके बावजूद सच्चाई यही है कि खतरा अभी टला नहीं है। इसका प्रमाण यह है कि देश के कुछ हिस्सों से संक्रमण के नए मामले सामने आते जा रहे हैं। कहीं-कहीं तो उनकी संख्या चिंतित करने वाली है। वास्तव में इसी कारण लॉकडाउन बढ़ाने की जरूरत पड़ रही है।

उम्मीद की जाती है कि जब प्रधानमंत्री लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा करेंगे तो वह राज्य सरकारों से यह आग्रह खास तौर पर करेंगे कि कोरोना प्रभावित इलाकों में एक ओर जहां और सख्ती का परिचय दिया जाए वहीं दूसरी ओर संदिग्ध कोरोना मरीजों की पहचान के काम में तेजी लाई जाए। कोरोना के कहर से बचे रहने का उपाय भी यही है। नि:संदेह कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग एक कठिन लड़ाई है, लेकिन उसे जीतने के अलावा और कोई उपाय नहीं। इस लड़ाई को तभी आसान बनाया जा सकता है जब हमारा स्वास्थ्य तंत्र संसाधनों की कमी का सामना न करने पाए और लोग सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने के प्रति हर क्षण सचेत रहें। इसमें तनिक भी लापरवाही सारे किए-कराए पर पानी फेर देगी।

यह ठीक है कि देश में अभी तक दो लाख से अधिक लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर लिया गया है, लेकिन अभी लाखों और लोगों का परीक्षण करने की जरूरत है। इस जरूरत की पूर्ति के लिए जो भी संसाधन चाहिए वे प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए। यह एक कठिन काम है, लेकिन इसे करना ही होगा। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लॉकडाउन का पालन सही तरह हो।

सच तो यह है कि इसके प्रति और अधिक सतर्कता इसलिए बरतनी होगी, क्योंकि इसका अंदेशा है कि लॉकडाउन की समय-सीमा बढ़ाने के साथ दी जाने वाली रियायतों का दुरुपयोग हो सकता है। इस अंदेशे का आधार यह है कि देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आने का सिलसिला कायम है कि लॉकडाउन के अमल में लापरवाही का परिचय दिया जा रहा है। सबसे खराब बात यह है कि कोरोना के संदिग्ध रोगी अथवा संक्रमण की चपेट में आए लोग स्वास्थ्य कर्मियों के साथ असहयोग कर रहे हैं। इनमें तब्लीगी जमात वाले अव्वल हैं। कम से कम अब तो इस नतीजे पर पहुंच ही जाया जाना चाहिए कि कठोर कार्रवाई के जरिये ही ऐसे तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है।