बेटियों का सशक्तीकरण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक के बाद एक फैसलों से बिहार नारी सशक्तीकरण का शानदार नमूना बनता जा रहा है। लड़कियों को उनके जन्म के साथ ही स्नातक स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने तक लगातार आर्थिक मदद मुहैया कराना बेहतरीन योजना है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लड़कियों को उनके जन्म से लेकर स्नातक शिक्षा तक आर्थिक मदद मुहैया कराने का निर्णय लेकर बेटियों के सशक्तीकरण की दिशा में ‘मील का पत्थर’ स्थापित किया है। अपने मौजूदा मुख्यमंत्रित्वकाल में नीतीश कुमार लड़कियों के सशक्तीकरण के लिए पहले भी कई अहम कदम उठा चुके हैं। बहरहाल, लड़की के जन्म लेते ही आर्थिक सहयोग की योजना लड़कियों को मजबूत और सम्मानित करने की भावना का प्रकटीकरण है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री की इस सोच का प्रभाव सरकारी तंत्र के साथ-साथ समाज में भी महसूस किया जाएगा और बिहार में बेटियों की कद्र बढ़ेगी। इस योजना का वास्तविक
मकसद लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना है। लड़कियां शिक्षित होंगी तो स्वाभाविक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी तथा व्यक्तिगत जीवन के अलावा परिवार, समाज और राज्य के फैसलों में उनकी सहभागिता बढ़ेगी। लड़कियां पढ़ने के लिए स्कूल जाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने लड़कियों को साइकिल और पोशाक उपलब्ध करवाई। राज्य के किसी भी इलाके में गुजरिए, सुबह साइकिल पर स्कूल जाती लड़कियों के समूह सूबे का नया चेहरा दिखाते हैं।
इससे पहले निकायों और नौकरियों में आरक्षण के जरिए महिलाओं को मजबूती प्रदान की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं की ही मांग पर पूर्ण शराबबंदी का फैसला लिया। बाद में महिलाओं की बेहतरी के लिए दहेज प्रथा और बाल विवाह पर रोक जैसे सख्त कदम उठाए। यह सच है कि किसी वक्त बिहार में महिलाओं के
प्रति अपराध की दर कई अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत अधिक थी, पर राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के फलस्वरूप हालात में उल्लेखनीय सुधार आया है। शराबबंदी अभियान में महिलाओं ने जिस तरह घर की दहलीज लांघकर मोर्चा संभाला, वह नारी सशक्तीकरण का उत्कृष्ट उदाहरण है। पुलिस बल और अन्य सेवाओं में लड़कियों को योगदान करते देखना अच्छी अनुभूति है। मुख्यमंत्री इस दिशा में लगातार प्रयासरत हैं, पर बेटियों को परिवार, कार्यस्थल, राजनीति और शैक्षिक परिसरों में वाजिब स्थान और सम्मान देना हर किसी को सीखना होगा। बिहार एक बार फिर अपना गौरवशाली अतीत वापस लाए, इसके लिए महिलाओं का मान-सम्मान अनिवार्य शर्त है।
[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]