लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच हाथापाई की नौबत आने से एक तरह से संसद की गरिमा पर ही हमला हुआ। राहुल गांधी के एक सवाल का जवाब देने के पहले स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने यदि उनके प्रधानमंत्री पर डंडे पड़ने वाले बयान की निंदा करनी शुरू कर दी तो कांग्रेसी सांसदों को इतना तैश में आने की क्या जरूरत थी कि वह मारपीट करने पर आमादा हो जाते? नि:संदेह स्वास्थ्य मंत्री को राहुल गांधी के सवाल का जवाब देने तक सीमित रहना चाहिए था, लेकिन अगर उन्होंने उनके अभद्र बयान की निंदा करनी शुरू कर दी तो कोई अपराध नहीं किया।

कांग्रेस को इस पर शर्मिदा होना चाहिए कि उसके सांसद मनिकम टैगौर स्वास्थ्य मंत्री पर हमला करने के लिए झपटे। यदि भाजपा सांसद उन्हें रोकते नहीं तो शायद वह उनसे हाथापाई कर बैठते। आखिर मनिकम टैगौर और अन्य कांग्रेसी सांसद यह क्यों चाह रहे थे कि राहुल गांधी के अभद्र बयान की चर्चा न हो? जो भी हो, यह पहली बार नहीं जब राहुल ने प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलते हुए शालीनता को ताक पर रखा हो। वह उनके खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल कुछ ज्यादा ही करने लगे हैं जो किसी भी नेता को शोभा नहीं देती। मोदी पर डंडे पड़ेंगे, इससे अभद्र है राहुल की ओर से प्रधानमंत्री के लिए जाता है, भाषण देता है जैसी शब्दावली का इस्तेमाल करना। ऐसी अवांछित भाषा का इस्तेमाल करके राहुल खुद की ही प्रतिष्ठा से खेल रहे हैं।

अपने देश में संसद के भीतर-बाहर भाषा की मर्यादा का उल्लंघन करने वाले नेताओं की कमी नहीं, लेकिन शायद राहुल यह समझने को तैयार नहीं कि राजनीति की अपनी एक भाषा होती है। कांग्रेसी सांसदों का आपे से बाहर होना तो यही बताता है कि उन्हें अपने नेता की ओछी भाषा से कोई परेशानी नहीं। इस पर हैरानी नहीं कि कांग्रेस हाथापाई करने उतरे अपने सांसद की आलोचना करने के बजाय यह कहना पंसद कर रही है कि उसे सदन में बोलने से रोका जा रहा है।

वास्तव में यह एक नया चलन है कि सांसद पहले असंसदीय आचरण करते हैं और फिर कार्रवाई से बचने के लिए खुद को पीडि़त के रूप में पेश करते हैं। यह किसी से छिपा नहीं कि जब कभी असंसदीय आचरण करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो उनकी ओर से यह माहौल बनाया जाता है कि उनके बोलने के अधिकार पर अंकुश लगाया जा रहा है। सच यह है कि बोलने के अधिकार के नाम पर अनाप-शनाप बोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। चिंता की बात यह है कि संसद में भी यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।