पिछले वर्ष बंगाल में डेंगू से दर्जनों लोगों की मौत हुई थी। हजारों की संख्या में लोग पीडि़त हुए थे। सरकार डेंगू से मौत होने की बात मानने से बार-बार इन्कार करती रही। मामला कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंचा था। अब ठंड का मौसम समाप्ति की ओर है, लेकिन पिछले दो सप्ताह से महानगर के आठ वार्ड डायरिया की चपेट में हैं। एक की व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है। हालांकि अब स्थिति सामान्य हो रही है। इधर, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से यह साबित हो गया है कि दूषित पानी के कारण डायरिया फैला है। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अब कोलकाता नगर निगम खुद को बचाने के लिए स्थानीय स्तर पर बोतल बंद पानी बेचने वाली कंपनियों पर दोष मढ़ रहा है।

पर, यहां सवाल यह उठता है कि यदि निगम से शुद्ध व स्वच्छ जल आपूर्ति होता तो लोग क्या बोतल बंद पानी खरीदने को विवश होते? यदि महानगर में भी स्वच्छ जल लोगों को पीने के लिए नहीं मिल रहा है तो जिलों व दूरदराज गांवों की स्थिति क्या होगी? इसके लिए कौन जिम्मेवार है? सोमवार को मेयर शोभन चटर्जी ने कहा कि प्रभावित इलाकों के अधिकांश लोग 20-40 लीटर के बोतल बंद पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं। इसका अर्थ तो यह हुआ कि लोगों को पीने के लिए निगम द्वारा स्वच्छ जल पहुंचाने का जो दावा किया जा रहा है वह कोरा है? मेयर के मुताबिक जांच में बोतलबंद पेयजल में भी कॉलीफार्म बैक्टीरिया मिले हैं। इसलिए ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इस मसले को लेकर कोलकाता पुलिस आयुक्त से चर्चा भी की गई है।

बोतल बंद मिनरल वाटर के खिलाफ महानगर में विभिन्न जगहों पर अभियान चलाया जा रहा है। निगम के खाद्य सुरक्षा निरीक्षक व इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट के अधिकारी संयुक्त रूप से अभियान को चला रहे हैं। कुछ जगहों पर पानी की पाइप लाइन में लिकेज था जिसकी मरम्मत कर दी गई है। अधिकारी का कहना निगम के धापा व जय हिंद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से सप्लाई पानी की जांच की गई है, लेकिन कहीं कोई बैक्टीरिया नहीं मिला है। परंतु, घर में लगे नलकूप से संग्रह किए नमूनों में कॉलीफार्म मिला है। यानी यह साफ है कि घरों की पाइप लाइन में गड़बड़ी है। सफाई के अभाव में कॉलीफार्म पनप रहा है। निगम को दोषारोपण छोड़कर जरूरी है कि शुद्ध व स्वच्छ पेयजल लोगों तक पहले पहुंचाए ताकि फिर ऐसी बीमारी न फैले। क्योंकि, डेंगू को लेकर भी इसी तरह की बातें कही गई थी।

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(हाईलाइटर:: यदि निगम से शुद्ध व स्वच्छ जल आपूर्ति होता तो लोग क्या बोतल बंद पानी खरीदने को विवश होते?)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]