यह अच्छा हुआ कि बंगाल में बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ के मुद्दे को प्रधानमंत्री ने भी उठाया। इसके पहले गृहमंत्री भी इस मसले की चर्चा कर चुके हैं। गत दिवस एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस पर घुसपैठ को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया। बंगाल में होने वाली घुसपैठ महज एक चुनावी मुद्दा नहीं रहना चाहिए।

दशकों से जारी घुसपैठ के चलते जो तमाम बांग्लादेशी मुस्लिम बंगाल में आकर बस गए हैं और जिन्होंने मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि भी हासिल कर लिए हैं, उनकी पहचान कर उन्हें वापस भेजने के प्रयास किए जाने चाहिए। यह लगभग तय है कि ऐसे किसी प्रयास का तृणमूल कांग्रेस के साथ-साथ कांग्रेस और वामपंथी दल भी विरोध कर सकते हैं। इसके आसार इसलिए है, क्योंकि इन दलों के लिए घुसपैठिए एक वोट बैंक बन गए हैं।

घुसपैठ की समस्या से केवल बंगाल ही पीड़ित नहीं है। बंगाल के अलावा असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्य भी इस समस्या से दो-चार हैं। असम में तो घुसपैठ के कारण ही एनआरसी लाया गया। आखिर असम की तरह से बंगाल में भी एनआरसी को क्यों नहीं लागू किया जाना चाहिए? यह सही है कि ऐसे किसी कदम का संकीर्ण राजनीतिक कारणों से विरोध किया जाएगा, लेकिन उसे दरकिनार कर राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि बंगाल के सीमावर्ती जिलों में जनसांख्यिकी बदल गई है। बांग्लादेश से सटे कुछ जिलों में मुस्लिम आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि का एक बड़ा कारण सीमा पार से होने वाली घुसपैठ है। इस घुसपैठ पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है। बंगाल में कई निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां के चुनाव परिणामों को बांग्लादेशी घुसपैठिए प्रभावित करते हैं। यह अच्छी स्थिति नहीं। इसका निराकरण किया ही जाना चाहिए।

ऐसा किया जाना इसलिए भी आवश्यक हो गया है, क्योंकि बांग्लादेश के साथ-साथ म्यांमार से रोहिंग्या भी भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर रहे हैं। वे भी अवैध तरीके से भारत के नागरिक बनने की कोशिश कर रहे हैं। बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाओं में कई ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो घुसपैठ कराते हैं। उनका तंत्र इतना सुगठित है कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या बंगाल एवं पूर्वोत्तर के राज्यों से घुसपैठ करके जम्मू, हैदराबाद जैसे शहरों में जाकर बस गए हैं।

चूंकि सीमाओं की सुरक्षा का दायित्व केंद्र सरकार पर है और उसने बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए बंगाल में सीमा सुरक्षा बल को अतिरिक्त अधिकार भी प्रदान किए हैं, इसलिए घुसपैठ रोकना उसकी भी जिम्मेदारी है। अब जब भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है और बढ़ती आबादी के चलते संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, तब फिर यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि कहीं से भी कोई घुसपैठ न होने पाए।