भारतीय राजनीति किस तरह क्षुद्रता का भोंडा प्रदर्शन करने में माहिर हो गई है, इसका ताजा उदाहरण है आइआइटी और मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षाओं जेईई और नीट का विरोध। इन परीक्षाओं के विरोध के लिए केवल धरना-प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं रहा गया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच जाया गया। यह अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने इन परीक्षाओं को कराने के अपने आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया, लेकिन अच्छा होता कि वह याचिका दायर करने वालों को फटकार भी लगाता। ये याचिकाएं जिन लोगों की ओर से दायर की गईं, उनमें कई राज्यों के शिक्षा मंत्री भी थे।

क्या इससे बड़ी विडंबना और कोई हो सकती है कि शिक्षा मंत्री ही राष्ट्रीय महत्व की परीक्षाओं के खिलाफ खड़े हों और वह भी बिना किसी ठोस कारण के? यह ठीक है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजा खतरा अभी टला नहीं, लेकिन आखिर इसकी अनदेखी क्यों की जा रही है कि देश धीरे-धीरे लॉकडाउन की बंदिशों से बाहर आ रहा है? आखिर जब ट्रेनें चल रही हैं, विमान उड़ रहे हैं और कल-कारखाने अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ रहे हैं, तब फिर परीक्षाएं क्यों नहीं हो सकतीं?

जेईई और नीट का विरोध करने वाले बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्रियों को तो यह बुनियादी बात पता होनी ही चाहिए कि इन परीक्षाओं को और टालने की गुंजाइश नहीं रह गई थी। क्या वे यह चाह रहे थे कि लाखों छात्रों के एक वर्ष की मेहनत बेकार जाए? यदि नहीं तो फिर उन्होंने क्या सोचकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि वह परीक्षाएं कराने के अपने फैसले पर फिर से विचार करे? राजस्थान के शिक्षा मंत्री को तो यह भी बताना चाहिए कि आखिर उनके राज्य में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पूरक परीक्षाएं क्यों हो रही हैं? क्या राजस्थान कोरोना वायरस से मुक्त हो गया है या फिर ऐसा कुछ है कि केवल जेईई और नीट देने वाले छात्रों को ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा है?

नि:संदेह राजनीति जीवन के हर क्षेत्र को स्पर्श करती है और कई बार वह महज संकीर्ण स्वार्थों को पूरा करने के लिए की जाती है, लेकिन यह तो सस्ती राजनीति की पराकाष्ठा है कि राष्ट्रीय महत्व की परीक्षाओं को मोहरा बनाया जाए। क्या यह हास्यास्पद नहीं कि जो राजनीतिक दल मेट्रो चलाने की मांग कर रहे हैं, वे यह चाह रहे हैं कि जेईई और नीट जैसी परीक्षाएं न कराई जाएं? साफ है कि जो नेता अभी भी इन परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं वे खुद के साथ-साथ भारतीय राजनीति का भी उपहास उड़ा रहे हैं।