विवाह के दौरान कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जो मिसाल बन जाती हैं। कभी ये मिसाल नकारात्मक रूप में याद की जाती है तो कभी सकारात्मक रूप में समाज को एक रास्ता दिखा जाती है। प्रतापगढ़ में दहेज पर अड़े दूल्हे को सबक सिखाते हुए ग्रामीणों ने न केवल बरातियों को पीटा, बल्कि दूल्हे के पिता को बंधक भी बना लिया। दुल्हन ने भी ससुराल जाने से इन्कार कर दिया। फरुखाबाद में बरात के दौरान डांस पार्टी की रंगशाला को लेकर हुए विवाद में वधू के चाचा की गोली मार कर हत्या कर दी गई। गोंडा में एक शादी के दौरान सेल्फी को लेकर बात इतनी बढ़ी कि थाने तक पहुंच गई। हालांकि, बाद में समझौता हुआ। वहीं दूसरी ओर हाथरस में एक शादी अनूठे अंदाज में हुई। दूल्हा बरात लेकर पहुंचा तो बग्घी के दोनों ओर भारत माता की तस्वीरें भी लगी थीं। वंदेमातरम और भारत मां के जयकारों के बीच यह शादी पूर्ण हुई। रूढ़ियों को तोड़ते हुए नववधू से विधवाओं को साड़ियां भी बंटवाई गईं। ‘शुभघड़ी’ में ऐसे काम पर कुछ महिलाओं ने प्रतिवाद किया, लेकिन उन्हें यह कह कर चुप करा दिया गया कि ये भी समाज का अंग हैं। इन्हें मांगलिक कार्यों से दूर रखना भी सामाजिक बुराई ही है। फैजाबाद में एक शादी होने जा रही है जिसमें विदा के दौरान मेहमानों को पौधे बांटने की तैयारी है।

निश्चित रूप से विवाह की रस्में जीवन भर के संबंध जोड़ने के लिए होती हैं, लेकिन कुछ लोग इसे शुरुआत में ही इतना कड़वाहट भरा बना देते हैं कि ताउम्र इसका दाग नहीं मिट पाता है। वहीं कुछ लोग इसके माध्यम से न केवल समाज को एक नया रास्ता दिखा जाते हैं, बल्कि इन रिश्तों के बंधन की सार्थकता और मजबूती का तरीका भी बताते हैं। आज जब शिक्षा का दायरा बढ़ा है। सोच आधुनिक हो रही है तो फिर अधिकांश युवा विवाह के समय अनर्थ कर रहे अपने परिवारीजन का विरोध क्यों नहीं करते। अभी भी समय है। विवाह बंधन को लेकर रूढ़िवादी सोच को बदलें, अन्यथा कड़वाहट भरे दांपत्य जीवन की शुरुआत का आघात कभी नहीं भर पाएगा।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]