पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में हंगामे के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस ने शुक्रवार को पहले ही दिन राज्यसभा में जिस तरह से हंगामा किया और कार्यवाही नहीं होने दी, इसे लेकर ममता अलग रूख अपना रही हैं। तृणमूल संसद में कांग्रेस से दूरी बनाकर चलेगी। यही नहीं, तृणमूल संसद के भीतर कक्ष समन्वय भी कांग्र्रेस के साथ नहीं करेगी। यहां तक कि यदि कांग्रेस संसद को अचल करने की कोशिश करती है तो तृणमूल सांसद साथ नहीं देंगे। यह बातें शुक्रवार को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में सभी नेताओं को तृणमूल प्रमुख ने समझा दी है। ममता के निर्देशानुसार तृणमूल सांसद अपनी कार्यसूची के मुताबिक संसद में मुद्दों को उठाएंगे और चर्चा की मांग करेंगे। किसी भी हालत में शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट न चढ़े, इसका प्रयास करेंगे। आगामी लोकसभा चुनाव में तृणमूल अकेले ही लड़ाई लड़ेगी, यह बात ममता पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं। सूबे में कांग्र्रेस पूरी तरह से ममता के खिलाफ मुखर है। गुजरात चुनाव को लेकर जो भी संकेत मिल रहे हैं, उसमें कांग्र्रेस की हालत अच्छी नहीं दिख रही। ऐसे में ममता नहीं चाहतीं कि भाजपा का मुख्य विपक्षी दल कांग्र्रेस को मानते हुए संसद के भीतर तृणमूल भी उसके सुर में सुर मिलाए। यही वजह है कि ममता 'एकला चलो' की नीति अपना रही हैं। दूसरी ओर कांग्र्रेस के अध्यक्ष पद पर अब राहुल गांधी बैठ चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में राहुल ने ममता पर जमकर निशाना साधा था। वहीं ममता भी कटाक्ष करने से पीछे नहीं रही थीं। सोनिया गांधी के साथ तृणमूल प्रमुख की नजदीकियां थीं लेकिन अब बागडोर राहुल के हाथों में है। माना जा रहा है कि यही सब वजह है कि ममता नहीं चाहतीं कि संसद में कांग्र्रेस के साथ उनकी पार्टी भी चले। पिछले माह ममता ने राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्र्रेस द्वारा लगातार सदन के बहिष्कार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ऐसा करने पर संसद में वह भी कांग्र्रेस का साथ नहीं देंगी। सवाल यह उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव में देर है, फिर ममताअभी से ही कांग्र्रेस से दूरी क्यों बनाना चाहती हैं? क्या ममता तृणमूल को भाजपा के मुख्य विरोधी के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं? ममता अपनी हर सभा व बैठक से भाजपा व केंद्र सरकार पर निशाना साध रही हैं।
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(हाइलाइटर::: यदि कांग्र्रेस संसद को अचल करने की कोशिश करती है तो तृणमूल सांसद साथ नहीं देंगे।)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]