किसी मुद्दे पर सहमति-असहमति हो सकती है लेकिन दो टूक राय रखना साहस और वैचारिक परिपक्वता की निशानी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की जानी चाहिए कि वह व्यापक महत्व के विषयों पर दुविधामुक्त राय रखते हैं। मौजूदा संदर्भ नोटबंदी विवाद का है जिसका समर्थन नीतीश कुमार पहले दिन से ही कर रहे हैं। यह बात इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि सालभर पहले नीतीश कुमार राजग के सामने वाले पाले में थे और तमाम मुद्दों पर उनकी भाजपा और उसके सहयोगी दलों के साथ मतभिन्नता थी। बहरहाल, 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद जब राष्ट्रव्यापी समर्थन-विरोध का सिलसिला चल रहा था, तत्कालीन विपक्षी पाले में नीतीश कुमार संभवत: पहले बड़े नेता थे जिन्होंने केंद्र सरकार के इस कदम का खुलकर समर्थन किया। इतना ही नहीं, उन्होंने उसी वक्त यह मांग शुरू कर दी थी कि बेनामी संपत्तियों के खिलाफ भी इसी तरह आक्रामक अभियान चलाया जाए। उम्मीद है कि यह अभियान जल्द शुरू होगा। दरअसल, जब नीतीश कुमार जैसे बड़े कद का नेता किसी राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर अपनी राय रखता है, तो वह उस राज्य की राय बन जाती है। इसमें शक नहीं कि सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े मुद्दों पर नीतीश कुमार की दुविधामुक्त राय के जरिए देशभर में बिहार की प्रतिष्ठा बढ़ी। बिहार में राजद द्वारा इन मुद्दों का विरोध करने को इसलिए ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती क्योंकि यह आंख मूंदकर केंद्र सरकार का विरोध है। यह हास्यास्पद है कि जिन पार्टियों ने संसद में जीएसटी के पक्ष में मतदान किया, वे भी अब इसे लूट बताकर विरोध कर रही हैं। इसके विपरीत नीतीश कुमार सोच-विचारकर स्टैंड लेते हैं और फिर उस पर कायम रहते हैं। नीतीश कुमार की इस स्पष्ट सोच का लाभ बिहार को मिलता है। राज्य में जब पूर्ण शराबबंदी लागू की गई तो अलग-अलग कारणों से कई मोर्चों पर उसका विरोध हो रहा था। ऐसे वक्त नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुला समर्थन मिला जिन्होंने पटना में आयोजित गुरु गोविंद सिंह प्रकाशोत्सव में जोरदार ढंग से कहा कि शराबबंदी साहसिक कदम है। उम्मीद की जानी चाहिए कि व्यापक राष्ट्रहित के मुद्दों पर नीतीश कुमार की वैचारिक स्पष्टता जारी रहेगी।
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सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और जीएसटी जैसे सवालों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुस्पष्ट स्टैंड से राष्ट्रीय परिदृश्य में बिहार की प्रतिष्ठा बढ़ी है। इसी क्रम में नीतीश द्वारा बेनामी संपत्ति के खिलाफ अभियान की मांग महत्वपूर्ण है।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]