कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा समाप्त होने को है, लेकिन वह कोई स्पष्ट विमर्श खड़ा कर पाने में नाकाम है। इससे भी खराब बात यह है कि वह ऐसे विवाद पैदा करने का काम कर रही है, जिनसे पार्टी को राजनीतिक रूप से हानि हो सकती है। विवाद पैदा करने का ताजा काम किया है वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए इसके प्रमाण मांग लिए कि इस सैन्य कार्रवाई में कितने आतंकी मारे गए? उन्होंने अपने इस वक्तव्य से सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर राहुल गांधी के खून की दलाली वाले कथन की याद दिला दी।

दिग्विजय सिंह केवल सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रश्न खड़े करने तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने पुलवामा हमले को लेकर भी केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के अन्य नेता भी यह काम कर चुके हैं। हालांकि वे इससे भी परिचित हो चुके हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने से कांग्रेस का नुकसान ही हुआ है, फिर भी सोच-समझकर बोलने को तैयार नहीं।

समझना कठिन है कि कांग्रेस अपनी गलतियों से कोई सबक क्यों नहीं सीखती? जो अपनी गलतियों से सबक सीखने के बजाय उन्हें बार-बार दोहराए, उसे और कुछ जो भी कहा जाए, बुद्धिमान तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि कांग्रेसी नेता पुरानी गलतियां दोहराने अथवा बेतुके बयान देने का काम इसीलिए करते हैं, क्योंकि स्वयं राहुल गांधी ऐसा करते रहते हैं। यह किसी से छिपा नहीं कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने अपने वही पुराने बयान दोहराए हैं, जो वह पिछले चार-पांच वर्षों से उठाते आ रहे हैं। कठिनाई यह है कि इस क्रम में वह ऐसे बेतुके सवाल करने में भी संकोच नहीं करते, जिनसे उनकी और कांग्रेस की फजीहत ही होती है। कोई नहीं जानता कि वह इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंच गए कि सैनिकों की भर्ती वाली अग्निवीर योजना सेना को कमजोर करने की साजिश है। आखिर वह ऐसा कैसे सोच लेते हैं? क्या कोई सरकार ऐसा कुछ कर सकती है?

दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाकर कांग्रेस को किस तरह असहज किया, इसका प्रमाण है जयराम रमेश का यह स्पष्टीकरण कि उनकी ओर से जो कहा गया, वह उनका निजी विचार है। इसमें संदेह है कि दिग्विजय सिंह के बयान को उनका व्यक्तिगत कथन बताने से कांग्रेस संभावित राजनीतिक नुकसान से बच जाएगी अथवा यह सिद्ध करने में सक्षम हो जाएगी कि भारत जोड़ो यात्रा का एकमात्र उद्देश्य राष्ट्रीय एकता का संदेश देना है। आखिर सेना के शौर्य और उसकी क्षमता पर सवाल उठाने वाले राष्ट्रीय एकता का संदेश कैसे दे सकते हैं? कांग्रेस कुछ भी कहे, जनता को यही संदेश जा रहा है कि इस यात्रा का एकमात्र उद्देश्य केंद्र सरकार को नीचा दिखाना है।