दिल्ली में लाजपत नगर स्थित बाजार में सीलिंग के दौरान पुलिस द्वारा व्यापारियों व महिलाओं पर लाठी चार्ज तथा फोटो पत्रकारों से बदसुलूकी करना उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाता है। यह घटना मौके पर मौजूद एडिशनल डीसीपी रैंक के पुलिस अधिकारी की शह पर हुई। दरअसल, बृहस्पतिवार को सीलिंग का दस्ता पुलिस के साथ बाजार में सीलिंग करने पहुंचा था। सीलिंग का विरोध करने पर पुलिस ने दुकानदारों पर लाठियां बरसाईं और महिलाओं से भी मारपीट की। यही नहीं, घटना को कवर कर रहे दैनिक जागरण समेत दो मीडिया संस्थानों के फोटो पत्रकारों के कैमरे छीनकर उनके फोटो डिलीट कर दिए गए और पुलिसकर्मी उन्हें अपराधियों की तरह पकड़कर पैदल थाने तक लेकर गए। पहले व्यापारियों और महिलाओं पर बर्बरता, फिर उसे छिपाने के लिए फोटो पत्रकारों के साथ बदसुलूकी से दिल्लीवासी चिंतित हैं।

दिल्ली में अब तक सीलिंग की कार्रवाई शांतिपूर्ण तरीके से हुई। ऐसे में इसकी गंभीरता से जांच की जानी चाहिए कि लाजपत नगर में हुई सीलिंग की घटना को शांतिपूर्ण ढंग से क्यों नहीं निपटाया जा सका? क्यों यहां पुलिस को व्यापारियों पर लाठी बरसानी पड़ी और महिलाओं के साथ भी मारपीट करनी पड़ी? फोटो पत्रकारों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर पुलिस ने सच्चाई छिपाने का प्रयास किया, जो अस्वीकार्य है। इस मामले में दिल्ली पुलिस को मौके पर मौजूद एडिशनल डीसीपी की भूमिका की जांच करानी चाहिए और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस घटना से दिल्ली पुलिस की छवि धूमिल हुई है। महिला सुरक्षा को लेकर वर्षो में बनाई गई छवि को तार-तार होने से पुलिस को बचाना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]