प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत के बाद यही स्पष्ट हुआ कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के अलावा और कोई उपाय नहीं। एक तो अधिकांश मुख्यमंत्री लॉकडाउन की समय-सीमा में वृद्धि चाह रहे हैं और दूसरे, कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी भी इस जरूरत को रेखांकित कर रही है कि फिलहाल कोई जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता।

चूंकि प्रधानमंत्री से वार्ता के पहले ही कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन 30 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला कर लिया था इसलिए माना जा रहा है कि केंद्रीय सत्ता की ओर से भी कम से कम दो सप्ताह तक के लिए लॉकडाउन के विस्तार का फैसला लिया जाएगा। देखना यह है कि ऐसा कोई फैसला करते समय देश के उन इलाकों को कोई रियायत दी जाती है या नहीं, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से अछूते हैं। 

चूंकि चार सौ से अधिक जिले ऐसे हैं जहां कोरोना का एक भी मरीज नहीं है इसलिए इस पर विचार होना चाहिए कि क्या इन जिलों की सीमाएं सील कर वहां लॉकडाउन में कुछ ढील दी जा सकती है? इससे चुनिंदा कारोबारी गतिविधियों को शुरू करने के साथ ही फसल कटाई के काम को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसका एक लाभ यह भी होगा कि मजदूरों और कामगारों की रोजी-रोटी की समस्या का एक हद तक समाधान होगा। ऐसा करते समय सावर्जनिक मेल-मिलाप से परहेज को लेकर भी सतर्क रहना होगा और इसे लेकर भी सीमाएं कारगर ढंग से सील हों।

एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण से बचे हुए इलाकों में कुछ रियायत देने पर विचार होना चाहिए वहीं दूसरी ओर संक्रमण की चपेट वाले इलाकों और खासकर जहां कोरोना के ज्यादा मरीज मिलने के कारण उन्हें हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है वहां लॉकडाउन के पालन में और सख्ती दिखाई जानी चाहिए। ऐसे इलाकों में कर्फ्यू लगाने से भी नहीं हिचका जाना चाहिए।

स्वास्थ्य कर्मियों से असहयोग करने और पुलिसकर्मियों की अवहेलना करने वालों को समझाने-बुझाने का समय बीत गया है। ऐसे तत्व कठोर दंड के पात्र बनाए जाने चाहिए जो हालात की गंभीरता समझने को तैयार नहीं। चूंकि एक गलती पूरे देश की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर सकती है इसलिए शासन-प्रशासन के साथ आम जनता की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह लॉकडाउन की बंदिशों का उल्लंघन करने वालों पर निगाह रखे।

नि:संदेह फिलहाल लॉकडाउन जरूरी है, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि देश को उसकी भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ रही है। वास्तव में इसी कारण लॉकडाउन पर सख्ती से अमल के प्रति राज्य सरकारों को और अधिक तत्परता दिखाने के लिए तैयार रहना चाहिए।