यह तथ्य सामने आने पर हैरानी नहीं कि मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग के सौ किलोमीटर के दायरे में इसी साल हादसों में 60 लोगों की जान जा चुकी है, क्योंकि देश के कई राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर यही स्थिति है। मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग में होने वाले हादसों के संदर्भ में जो तथ्य सामने आया वह संभवत: इसीलिए आया, क्योंकि चंद दिनों पहले इसी राजमार्ग पर जाने-माने उद्यमी सायरस मिस्त्री और उनके एक संबंधी की मौत हो गई थी।

इन दोनों लोगों की मौत के बाद इस आवश्यकता पर तो बल दिया गया कि कारों की पिछली सीट पर बैठने वालों के लिए सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य किया जाएगा और जो इसका पालन नहीं करेंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा, लेकिन राजमार्गों में निर्माण संबंधी खामियों को दूर करने की जरूरत पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया।

अब तो यह काम प्राथमिकता के आधार पर किया ही जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं राजमार्गों की डिजाइन में खामी के कारण हो रही हैं। इसके चलते ही अधिकांश राजमार्गों पर दुर्घटना बहुल क्षेत्र बन गए हैं। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि विभिन्न राजमार्गों में ऐसे दुर्घटना बहुल क्षेत्रों की पहचान करके उनमें आवशयक परिवर्तन किए गए हैं, क्योंकि सड़क हादसों और उनमें हताहत होने वालों की संख्या में लगाम नहीं लग पा रही है।

मार्ग दुर्घटना संबंधी ताजा आंकड़े यही कह रहे हैं कि भारत में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। इन आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में हर साल डेढ़ लाख से अधिक लोग मार्ग दुर्घटनाओं के शिकार बन रहे हैं। यह संख्या इसलिए गंभीर चिंता का विषय बननी चाहिए, क्योंकि भारत में अन्य तमाम देशों के मुकाबले कहीं कम वाहन हैं। अच्छा यह होगा कि इस सच को स्वीकार किया जाए कि हमारे राजमार्गों और एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता, डिजाइन और उनका रखरखाव वैसा नहीं जैसा होना चाहिए। रही-सही कसर अकुशल वाहन चालकों के साथ यातायात नियमों की अनदेखी, उपयुक्त स्थानों पर मार्ग संकेतों के अभाव और अतिक्रमण ने पूरी कर दी है।

एक ऐसे समय जब देश में तेज गति और उच्च क्षमता वाले वाहनों की संख्या बढ़ती चली जा रही है तब राजमार्गों की गुणवत्ता और विशेष रूप से उनकी डिजाइन को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। यह समझना कठिन है कि नए राजमार्गों की डिजाइन में भी वैसी खामियां देखने को क्यों मिल रही हैं जो दशकों पुराने राजमार्गों पर देखने को मिलती हैं?

यह ठीक नहीं कि राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के निर्माण में तेजी के साथ ही मार्ग दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ती जाए। मार्ग दुर्घटनाओं को कम करने के लिए जितना आवश्यक यह है कि राजमार्गों, एक्सप्रेसवे आदि का निर्माण उन्हीं मानकों के हिसाब से हो जैसे मानक विकसित देशों में अपनाए गए हैं उतना ही यह भी कि वाहन चालक अपेक्षित सतर्कता का परिचय दें।