सड़क पर तेज गति से वाहन दौड़ाने के कारण हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ज्यादातर मामलों में अनियंत्रित भारी वाहन ही हादसों का कारण बनते हैं। सोमवार को चरखी दादरी के पास तेज रफ्तार वाहन दौड़ाने के कारण ही तीन स्कूली बच्चों सहित पांच लोगों की जान चली गई। इस बार भी डंपर ही हादसों का कारण बने। चरखी दादरी के आसपास ऐसे हादसों की स्थिति कुछ अधिक ही है। अधिकतर मामलों में यह सामने आया है कि संकरी सड़कों पर वाहन तेज गति से दौड़ते हैं। स्कूली वाहनों की गति तय होने व तमाम कड़े नियमों के बावजूद लगातार ऐसे हादसे होना साबित करता है कि न अधिकारी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और न ही स्कूल संचालक। नियमों के पालन की चिंता किसी को नहीं है। अदालतें भी समय-समय पर चेतावनी देती रही हैं। नियम भी तय किए हुए हैं।

कोर्ट का आदेश आने पर अधिकारी कुछ दिन स्कूल वाहनों की जांच की औपचारिकता करते हैं और उसके बाद चुप्पी साध ली जाती है। अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि वे स्कूल बसों के चालक-परिचालक के व्यवहार पर नजर रखें और स्कूल के संज्ञान में लाएं। अगर फिर भी समस्या का समाधान न हो तो अधिकारियों को शिकायत दें। नियम के अनुसार बस चालक के पास भी पर्याप्त अनुभव होना आवश्यक है और उस पर कोई केस दर्ज न हो। वाहनों की स्थिति यह है कि अधिकतर स्कूल वाहनों के पास फिटनेस प्रमाणपत्र ही नहीं हैं। वाहन की गति सीमा सुनिश्चित करने के लिए स्पीड गवर्नर होना आवश्यक है, लेकिन चालक इस नियम की धज्जियां उड़ाते हैं। प्राथमिक जांच बताती है कि सोमवार के हादसे के दौरान भी गति सीमा का उल्लंघन हो रहा था। प्रशासन को इस संबंध में कड़े कदम उठाने चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]