पेगासस जासूसी मामले को लेकर तीसरे सप्ताह भी संसद के दोनों सदनों में गतिरोध जारी रहने से यही स्पष्ट हो रहा है कि विपक्ष अपने रवैये से पीछे हटने वाला नहीं। इसका पता राहुल गांधी की ओर से विपक्षी दलों के नेताओं के साथ संभावित बैठक से भी चलता है। इस बैठक के बाद विपक्ष पेगासस मामले में अपने रवैये पर और अधिक अडिग हो जाए तो हैरत नहीं। जो भी हो, सरकार इसकी अनदेखी नहीं कर सकती कि उस पर इसके लिए दबाव बढ़ता जा रहा है कि इस मसले पर संसद में बहस हो। गत दिवस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले पर संसद में बहस की जरूरत जता दी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि इस प्रकरण की जांच भी होनी चाहिए। वह भाजपा के सहयोगी दलों के नेताओं में से पहले ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने पेगासस मामले में विपक्ष के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने न केवल भाजपा को असहज किया, बल्कि सरकार पर दबाव बढ़ाने का भी काम किया। पेगासस मामले का सच जो भी हो, सरकार को उन कारणों को स्पष्ट करना चाहिए, जिनके आधार पर वह यह कह रही है कि इस मामले पर बहस की जरूरत नहीं। अच्छा यह होगा कि वह संसद में बहस के लिए तैयार हो और अपने तर्को से विपक्ष की उन दलीलों को ध्वस्त करे, जिन्हें वह कपोल कल्पित ठहरा रही है।

यह पता चलना ही चाहिए कि पेगासस साफ्टवेयर के जरिये जासूसी हुई या फिर जासूसी की कोशिश हुई अथवा जासूसी होने वाली थी? अभी तो यही नहीं पता चल रहा कि आखिर हुआ क्या है? क्या वह सूची निराधार है, जिसमें कथित तौर पर उन लोगों के नाम दर्ज हैं, जिनकी जासूसी होनी थी? वास्तव में यह सवाल केवल सत्तापक्ष के समक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष के सामने भी है। विपक्ष कितना भी हंगामा मचाए, तथ्य यही है कि अभी इसके प्रमाण नहीं कि उन लोगों की जासूसी हुई ही है, जिनके नाम एमनेस्टी इंटरनेशनल और फारबिडेन स्टोरीज नामक संस्था ने जारी किए हैं। बेहतर हो कि विपक्ष भी उन कारणों को रेखांकित करे, जिनके तहत वह इस नतीजे पर पहुंच रहा है कि अमुक-अमुक लोगों की जासूसी हुई। जासूसी कोई नई-अनोखी बात नहीं। शायद ही कोई सरकार हो, जो जासूसी न कराती हो, लेकिन उसकी जरूरत के कुछ ठोस आधार होते हैं। सरकार को सदन के भीतर अथवा बाहर विपक्ष को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि जासूसी समुचित कारणों से ही हो रही है और उन्हीं तत्वों की हो रही है, जिनकी जरूरी है। उचित यह होगा कि संसद में जारी गतिरोध तोड़ने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष में बातचीत हो।