मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट के बाद से दिल्ली में प्रशासनिक कामकाज लगभग ठप है। दिल्ली सरकार और अधिकारी दोनों में से कोई झुकने को तैयार नहीं है। पिछले चार दिनों से बैठक तो दूर अधिकारी व मंत्रियों के बीच फोन पर भी बात नहीं हो रही है। यह गतिरोध यदि लंबा चला तो दिल्ली में वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि बजट सिर पर है और इसकी तैयारी अभी तक नहीं हो सकी है। हालांकि, सरकार दावा कर रही है कि बजट की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मगर जानकार सरकार के दावे को खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है फरवरी में बजट को लेकर संबंधित विभागों के अधिकारियों की वित्त मंत्री के साथ बैठक होती है, जिससे कि दिल्ली के विकास की पूरी रूपरेखा तय कर उसके लिए बजट का प्रावधान किया जा सके।

अभी तक बजट को लेकर योजना विभाग और वित्त विभाग की कोई बैठक नहीं हो सकी है। इस हालात में बजट लाने के नाम पर सिर्फ खानापूरी ही होगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के हित में गतिरोध खत्म करने के लिए आगे आना चाहिए। शुक्रवार को उपराज्यपाल ने इन्हें अधिकारियों को भरोसे में लेने की सलाह दी, लेकिन सरकार और आम आदमी पार्टी के विधायकों के रवैये से नहीं लगता है कि वे इसे लेकर गंभीर हैं। यदि सरकार गंभीर होती तो आप नेता अधिकारियों को लेकर अनाप-शनाप बयानबाजी नहीं करते। दिल्ली के हालात को लेकर शनिवार शाम को उपराज्यपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की है। किसी भी तरह स्थिति सामान्य होनी चाहिए, जिससे दिल्ली के विकास पर कोई असर न पड़े। इसमें सरकार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]