मुंबई में आतंकी हमले के 14 वर्ष बाद उसका स्मरण किया जाना स्वाभाविक है। न तो इस हमले को भूला जा सकता है और न ही उन गुनहगारों को, जिन्होंने इस भीषण हमले की साजिश रची। यह ठीक नहीं कि इस हमले के षड्यंत्रकारी पाकिस्तान में एक तरह से खुले आम घूम रहे हैं। पाकिस्तान उन्हें जिस तरह दंडित करने का दिखावा करता हुआ भी नहीं दिख रहा है, उससे यही स्पष्ट होता है कि उस पर जैसा दबाव बनाया जाना चाहिए था, वैसा नहीं बनाया जा सका।

यह ठीक है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह कहा कि मुंबई हमले की साजिश रचने वाले आतंकियों के खिलाफ विश्व समुदाय को एकजुट होने की आवश्यकता है, लेकिन पिछले 14 वर्षों का अनुभव यही बताता है कि अंतरराष्ट्रीय शक्तियां इस दिशा में जबानी जमा खर्च के अतिरिक्त और कुछ करती हुई नहीं दिख रही हैं। ऐसी शक्तियों में अमेरिका भी शामिल है, जिसके छह नागरिक मुंबई हमले में मारे गए थे।

इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अमेरिका ने मुंबई हमले की साजिश में शामिल रहे पाकिस्तानी मूल के अपने नागरिक डेविड कोलमैन हेडली को किस तरह भारत को सौंपने से इन्कार कर दिया था।

इसमें संदेह है कि भारत की इस तरह की अपीलों का विश्व समुदाय पर कोई असर पड़ेगा कि वह पाकिस्तान में पल रहे मुंबई हमले के गुनहगारों को दंडित करने के लिए उस पर दबाव बनाए। यह दबाव तो तभी बनेगा, जब भारत इसके लिए अपने स्तर पर कोई ठोस पहल करे। ऐसी किसी पहल की आवश्यकता इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक में पाकिस्तानी आतंकियों का बचाव करने में लगा हुआ है।

पाकिस्तान पर दबाव बनाने का काम मुंबई हमले की बरसी पर पाकिस्तानी आतंकियों की करतूतों की याद करते रहने से होने वाला नहीं है। भारत को ऐसे कुछ उपाय करने होंगे, जिससे पाकिस्तान मुंबई हमले के गुनहगारों को दंडित करने के लिए बाध्य हो। इस मामले में केवल इतना कहना ही पर्याप्त नहीं कि पाकिस्तान जब तक आतंकियों को शरण देने के साथ सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता रहेगा, तब तक उससे संबंध सुधर नहीं सकते। भारत को इससे आगे बढ़ना होगा और दो टूक ढंग से ऐसा कुछ कहना होगा कि जब तक मुंबई हमले के गुनहगार सजा नहीं पाते, तब तक भारतीय क्रिकेट टीम एशिया कप में हिस्सा लेने पाकिस्तान नहीं जाने वाली।

मुंबई हमले की याद केवल रस्मी तौर पर नहीं होनी चाहिए। भारत को ऐसा कुछ करना चाहिए जिससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखें। अभी तो वह न केवल बेपरवाह नजर आ रहा है, बल्कि किस्म-किस्म के आतंकियों को पाल भी रहा है। उसके सुधरने के आसार इसलिए नहीं, क्योंकि वह एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया है।