राज्यस्तरीय परीक्षा में भी यूजीसी व सीबीएसई की तर्ज पर तय मापदंडों का अनुपालन हो, परीक्षा केंद्र में घुसने से पहले छात्रों की सघन जांच हो ताकि फर्जी छात्र की जगह मेरिट वाले छात्र ही सफल हों।
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इंडियन रिजर्व बटालियन की आरक्षी पद पर नियुक्ति के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जा रही परीक्षा में लगातार मुन्नाभाई पकड़े जा रहे हैं। रविवार को हुई परीक्षा में ब्लू टूथ से उत्तर जान परीक्षा देते रांची से तीन, बोकारो से दो व पलामू से एक को दबोचा गया। वहीं, बोकारो से नौ और सिमडेगा से एक परीक्षार्थी को परीक्षा में कदाचार करते हुए निष्कासित किया गया। आइआरबी परीक्षा में धांधली कराने का सरगना पटना निवासी बीएसएनएल कर्मी अनूप कुमार है। उसे रांची के एक होटल से गिरफ्तार भी कर लिया गया। परीक्षा में कदाचार का यह पूरा धंधा बिल्कुल सुनियोजित तरीके से चल रहा था। छात्रों से संपर्क तैयार करने और नेटवर्क बनाने के लिए अनूप कुमार ने पूरी टीम तैयार कर रखी थी, जो छात्रों को परीक्षा में पूरी तरह पास कराने की गारंटी देते थे। हर परीक्षार्थी से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये में डील थी और ब्लू टूथ, बनियान और अन्य इलेक्ट्रानिक सामग्री के लिए अलग से 15 हजार रुपये लिए जाते थे। तीन दिसंबर को भी आइआरबी की हुई परीक्षा में ब्लू टूथ से कदाचार करते 13 मुन्नाभाइयों को पुलिस ने पकड़ा था, उस समय बिहार पुलिस का जवान इस पूरे मामले का सरगना निकला था। बढ़ती बेरोजगारी और सरकारी नौकरी की कमी को देखते हुए अधिकतर छात्र इस तरह के लोगों के झांसे में आ जाते हैं और शॉर्ट कट रास्ता अपनाते हुए जल्द से जल्द सफल होना चाहते हैं, जबकि ऐसे मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद उनका पूरा करियर अब चौपट हो जाएगा। सबसे बड़ी बात यह नियुक्ति आरक्षी के पद पर होनी है। आइआरबी के रक्षक ही जब इस तरह भ्रष्टाचार के माध्यम से नियुक्त होंगे तो वे अपनी नौकरी के दौरान कितनी ईमानदारी रख पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ा को पकडऩे वाले कर्मी वाकई प्रशंसा के पात्र हैं जो इतनी सतर्कता के बावजूद परीक्षार्थी को पकड़ ले रहे हैं। जरूरी है कि राज्य स्तर पर होनी वाली परीक्षा में भी मेटल डिटेक्टर की व्यवस्था हो, राज्यस्तरीय परीक्षा में भी यूजीसी व सीबीएसई की तर्ज पर तय मापदंडों का अनुपालन हो, परीक्षा केंद्र में घुसने से पहले छात्रों की सघन जांच हो ताकि फर्जी छात्र सफल होकर नौकरी हासिल नहीं कर सकें और मेरिट वाले छात्र ही सफल हों। तब ही लोगों को सिस्टम पर भरोसा जगेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]