मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर में एक बच्ची से दुष्कर्म के आरोपियों को मौत की सजा के मामले में यह उल्लेखनीय है कि अदालत ने घटना के दो माह के अंदर ही फैसला सुना दिया। मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश का ध्यान खींचने और लोगों को आक्रोश से भर देने वाले इस मामले में अदालती प्रक्रिया द्रुत गति से इसीलिए आगे बढ़ सकी, क्योंकि पुलिस ने अपना काम तत्परता के साथ किया। दुष्कर्म सरीखे घिनौने अपराध के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस और अदालतों से ऐसी ही तेजी की अपेक्षा है।

मध्य प्रदेश में बीते छह माह में दुष्कर्म के विभिन्न मामलों में अब तक 14 अपराधियों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। नि:संदेह यह आंकड़ा दुष्कर्म के मामलों में पुलिस की जांच प्रक्रिया के साथ-साथ अदालती कार्यवाही में आई तेजी को भी बयान करता है, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि मध्य प्रदेश की पुलिस और वहां की अदालतें दुष्कर्म के मामलों की जांच में तत्परता का परिचय दे रही हैैं।

कहना कठिन है कि ऐसी ही तत्परता आगे की अदालती प्रक्रिया में देखने को मिलेगी या नहीं? यह सवाल इसलिए, क्योंकि देश को दहलाने वाले दिल्ली दुष्कर्म कांड के दोषियों की फांसी की सजा पर अब तक अमल नहीं हो सका है। क्या यह विचित्र नहीं कि करीब छह साल पुराने दुष्कर्म और हत्या की जिस खौफनाक घटना ने सारे देश को हिला दिया था उसके दोषियों की सजा पर अमल होना अब भी शेष है? अगर ऐसा ही हश्र दुष्कर्म में फांसी की सजा वाले अन्य मामलों का होता है तो फिर अभीष्ट की पूर्ति होने वाली नहीं है।

मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से दुष्कर्म में फांसी की सजा का कानून बनाया। बाद में ऐसे ही कानून अन्य राज्यों ने बनाए। अब तो केंद्र सरकार ने भी इसी आशय का कानून बना दिया है। चिंता की बात यह है कि एक ओर दुष्कर्म के खिलाफ कानून कठोर किए जा रहे हैैं तो दूसरी ओर दुष्कर्म के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैैं। सबसे भयावह यह है कि चार-छह साल की बच्चियों से भी दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैैं।

मंदसौर में आठ साल की बच्ची को उसके स्कूल के सामने से अपहरण कर दुष्कर्म का शिकार बनाया गया था। दुष्कर्मियों ने उसे धारदार हथियार से मार डालने की कोशिश भी की थी। इसीलिए इस मामले को दुर्लभ माना गया। ऐसे दुर्लभ मामलों पर रोक में कठोर कानून और उसके तहत फांसी की सजा एक बड़ी हद तक सहायक हो सकती है, लेकिन आखिर फांसी की सजाओं पर अमल कब होगा?

दुष्कर्म के खिलाफ प्रतिरोधक माहौल तैयार करने और यौन अपराधियों के मन में भय का संचार करने के लिए यह आवश्यक है कि दुष्कर्म के संगीन मामलों में दी गई फांसी की सजाओं पर अमल भी हो। चूंकि दुष्कर्म और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अन्य अपराधों पर प्रभावी रोक में कठोर कानून एक सीमा तक ही प्रभावी हो सकते हैैं इसलिए पुलिस और अदालतों के साथ समाज को भी कुछ करना होगा।