गणतंत्र दिवस इस बात का आकलन करने का सबसे अच्छा अवसर होता है कि देश ने क्या उपलब्धियां अर्जित की हैं और अभी किन आकांक्षाओं को पूरा करना शेष है? एक गणतंत्र के रूप में बीते सात दशक से भी अधिक समय में देश ने किस तरह स्वयं को परिवर्तित किया है, इसे इससे समझा जा सकता है कि इस बार गणतंत्र दिवस परेड में स्वदेशी सैन्य उपकरणों का ही प्रदर्शन किया जाएगा। यह पहल स्वदेशी के साथ आत्मनिर्भरता का भी संदेश देने वाली है। इससे अच्छा और कुछ नहीं कि रक्षा सामग्री के निर्माण में देश आत्मनिर्भर हो रहा है। इसकी झलक गणतंत्र दिवस परेड में दिखनी ही चाहिए।

इस परेड में इस बार सेना के तीनों अंगों में नारी शक्ति की उपस्थिति भी कहीं अधिक प्रमुखता से दिखेगी। निःसंदेह यह भी बदलते भारत का परिचायक है। देश किस तेजी से बदल रहा है, इसके प्रमाण अन्य अनेक क्षेत्रों में भी दिख रहे हैं। भारत डिजिटल तकनीक में एक बड़ी शक्ति बनने के साथ विश्व के समक्ष उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है। इस सबके अतिरिक्त अनेक चुनौतियों और प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति वाली बनी हुई है। इसने दुनिया में भारत के लिए एक आकर्षण पैदा किया है।

संतोष का विषय केवल यह नहीं है कि भारत की पहचान दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में स्थापित हो गई है, बल्कि यह भी है कि अगले कुछ वर्षों में वह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऐसा शीघ्र हो, इसके लिए नीति-नियंताओं को अपने दायित्वों का पालन करते समय सचेत रहना होगा। यह सही समय है कि राजनीतिक वर्ग देश की आकांक्षाओं को पूरा करने और विश्व समुदाय की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए न केवल प्रतिबद्ध हो, बल्कि उन लक्ष्यों को पाने के तौर-तरीकों को लेकर आम सहमति कायम करे, जिनका संधान किया जाना है। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि भारत एक निर्धन एवं कमजोर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए आत्मविश्वास से भरे देश के रूप में उभर आया है। इसकी पुष्टि विश्व समुदाय भी कर रहा है।

वह यह मानने लगा है कि उसकी अनेक समस्याओं का समाधान भारत के सहयोग से ही हो सकता है। भारत का कद और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती रहे, इसके लिए जनता को भी अपने हिस्से की भूमिका भी निभानी होगी। इस भूमिका का सरल तरीके से निर्वाह तभी हो सकता है, जब हम भारत के लोग अपने नागरिक दायित्वों के प्रति सजग रहें और उन चुनौतियों का सामना मिलकर करें, जो सामने दिख रही हैं। ऐसा करके ही हम गणतंत्र दिवस को सचमुच एक उत्सव के रूप में तब्दील कर सकते हैं और इसका अच्छे से आभास कर सकते हैं कि देश बदल रहा है और आगे बढ़ रहा है।